इस आर्टिकल में, हम भारत के विश्व धरोहर स्थल की बात करेंगे जिनका प्रतियोगी परीक्षाओं में बहुत ही महत्व है और इससे सम्बंधित प्रश्न कई बार पूछे गए है।

भारत के विश्व धरोहर स्थल

अजंता की गुफाएँ

यह गुफाएँ महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में स्थित है, जिसे 1983 में विश्व विरासत धरोहर के रूप में शामिल किया गया। इन गुफाओं की संख्या 29 है जिनमें सभी बौद्ध धर्म से सम्बन्धित है।

एलोरा की गुफाएँ

यह गुफाएँ महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में स्थित है, जिसे 1983 में विश्व विरासत धरोहर के रूप में शामिल किया गया। इन गुफाओं की संख्या 34 है जिनमें 17 हिन्दू धर्म, 12 बौद्ध धर्म और 5 जैन धर्म से सम्बन्धित है।

आगरा का किला

यह किला उत्तर प्रदेश के आगरा जिले में स्थित है, जिसे 1983 में विश्व विरासत धरोहर के रूप में शामिल किया गया। यह मूल रूप से ईटों का बना हुआ था, जिसका नवीनीकरण मुगल बादशाह अकबर ने 1565 ई0 में शुरू करवाया और 1573 ई0 में यह पूरी तरह बनकर तैयार हो गया। इस किले के निर्माण में भीतर से ईटों और बाहर से लाल बलुआ पत्थर का प्रयोग किया गया है।

ताजमहल

यह महल उत्तर प्रदेश के आगरा जिले में स्थित है, जिसे 1983 में विश्व विरासत धरोहर के रूप में शामिल किया गया। यह एक प्रकार का हाथीदांत-सफेद मकबरा है जिसका निर्माण कार्य मुगल सम्राट शाहजहां ने 1632 ई0 में अपनी पसंदीदा पत्नी मुमताज महल की याद में शुरू करवाया था और 1643 ई0 में इसे अनिवार्य रूप से पूरा कर लिया गया, फिर भी इस परियोजना के अन्य चरणों का काम अगले 10 वर्षों तक जारी रहा। इस सम्पूर्ण परियोजना में, वास्तुकार उस्ताद अहमद लाहौरी के नेतृत्व में लगभग 20,000 कारीगरों को लगभग 20 वर्षों तक रोजगार मिला।

कोणार्क स्थित सूर्य मंदिर

यह मंदिर ओडिशा के पुरी जिले में स्थित है, जिसे 1984 में विश्व विरासत धरोहर के रूप में शामिल किया गया। यह मंदिर मुख्य रूप से सूर्य देवता को समर्पित है जिसका निर्माण 1250 ई0 में पूर्वी गंग वंश के शासक नरसिंहदेव प्रथम ने कराया था। इस मंदिर के दोनों ओर 12-12 पहियों की दो कतारें है जिन्हें सात घोड़े खींच रहे है। ये पहिये साल के 12 महीनों अथवा दिन के 24 घण्टों को और घोड़े सप्ताह के 7 दिनों को दर्शाते है। ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर के टॉवर पर पहले दो शक्तिशाली चुंबक लगे थे, जिसकी वजह से यह समुद्री जहाजों को अपनी ओर आकर्षित करता था, जिस कारण से समुद्री यात्रा करने वाले इसे 'ब्लैक पगोडा' भी कहते थे।

महाबलीपुरम स्थित स्मारकों के समूह

यह स्मारकों का समूह तमिलनाडू के चेंगलपट्टु जिले में स्थित है, जिसे 1984 में विश्व विरासत धरोहर के रूप में शामिल किया गया। इन स्मारकों का निर्माण पल्लव वंश के शासकों के द्वारा कराया गया था।

काजीरंगा नेशनल पार्क

यह नेशनल पार्क असम के गोलाघाट और नागांव जिले के अन्तर्गत आता है, जिसे 1985 में विश्व विरासत धरोहर के रूप में शामिल किया गया। इसे 1974 में नेशनल पार्क के रूप में घोषित किया गया था। यह नेशनल पार्क एक सींग वाले गैंडों के लिए विश्व प्रख्यात है और इसके अलावा यह बाघ, हाथी, तेंदुआ, भालू जैसे स्तनधारियों व हजारों पक्षियों का निवास स्थान भी है।

केवलादेव नेशनल पार्क

यह नेशनल पार्क राजस्थान के भरतपुर जिले के अन्तर्गत आता है, जिसे 1985 में विश्व विरासत धरोहर के रूप में शामिल किया गया। इसे 1982 में नेशनल पार्क के रूप में घोषित किया गया था।

मानस वाइल्डलाइफ सेंचुरी

यह वाइल्डलाइफ सेंचुरी असम में स्थित है, जिसे 1985 में विश्व विरासत धरोहर के रूप में शामिल किया गया। इसे 1928 में वाइल्डलाइफ सेंचुरी के रूप में घोषित किया गया था।

चर्च और कॉन्वेन्ट्स

यह सभी गोवा में स्थित है, जिसे 1986 में विश्व विरासत धरोहर के रूप में शामिल किया गया।

खजुराहो के स्मारकों का समूह

यह स्मारकों का समूह मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित है, जिसे 1986 में विश्व विरासत धरोहर के रूप में शामिल किया गया। इन स्मारकों का निर्माण चंदेल वंश के शासकों द्वारा कराया गया था।

हम्पी स्थित स्मारकों के समूह

यह स्मारकों का समूह कर्नाटक के बेल्लारी जिले में स्थित है, जिसे 1986 में विश्व विरासत धरोहर के रूप में शामिल किया गया। इन स्मारकों का निर्माण विजयनगर साम्राज्य के शासकों के संरक्षण में हुआ था।

फतेहपुर सीकरी

यह शहर उत्तर प्रदेश के आगरा जिले में स्थित है, जिसे 1986 में विश्व विरासत धरोहर के रूप में शामिल किया गया। इसे मुगल सम्राट अकबर के द्वारा बसाया गया था। यहाँ स्थित बुलंद दरवाजा, शेख सलीम चिश्ती की दरगाह, जोधाबाई का महल, जामा मस्जिद, पंचमहल, खासमहल, मरियम की कोठी, तुर्की सुल्तान की कोठी जैसे स्मारक अपने स्थापत्य कला के लिए काफी मशहूर है और इन स्मारकों का निर्माण अकबर के द्वारा ही कराया गया था।

पत्तदकल स्थित स्मारकों के समूह

यह स्मारकों का समूह कर्नाटक के बागलकोट जिले में स्थित है, जिसे 1987 में विश्व विरासत धरोहर के रूप में शामिल किया गया। इन स्मारकों का निर्माण चालुक्य (वातापी) वंश के शासकों के संरक्षण में हुआ था।

एलिफेंटा की गुफाएँ

यह गुफाएँ महाराष्ट्र के मुंबई में स्थित है, जिसे 1987 में विश्व विरासत धरोहर के रूप में शामिल किया गया। इन गुफाओं की संख्या 7 है जिनमें 5 हिन्दू धर्म और 2 बौद्ध धर्म से सम्बन्धित है।

थंजावुर (तंजौर) स्थित बृहदेश्वर मंदिर

यह मंदिर तमिलनाडू के थंजावुर जिले में स्थित है, जिसे 1987 में विश्व विरासत धरोहर के रूप में शामिल किया गया। यह मंदिर मुख्य रूप से भगवान शिव को समर्पित है जिसका निर्माण चोल वंश के शासक राजराज प्रथम ने कराया था। इस मंदिर को 'राजराजेश्वर मंदिर' के नाम से भी जाना जाता है।

सुंदरवन नेशनल पार्क

यह नेशनल पार्क पश्चिम बंगाल के 24 परगना जिले के अन्तर्गत आता है, जिसे 1987 में विश्व विरासत धरोहर के रूप में शामिल किया गया। इसे 1984 में नेशनल पार्क के रूप में घोषित किया गया था। यह नेशनल पार्क बाघों के लिए विश्व प्रख्यात है और इसके अलावा यहाँ पर सबसे अधिक मैंग्रोव वनस्पतियाँ भी पायी जाती है।

नंदा देवी नेशनल पार्क

यह नेशनल पार्क उत्तराखंड के चमोली जिले के अन्तर्गत आता है, जिसे 1988 में विश्व विरासत धरोहर के रूप में शामिल किया गया। इसे 1982 में नेशनल पार्क के रूप में घोषित किया गया था।

साँची स्थित बुद्ध के स्मारक

यह स्मारक मध्य प्रदेश के रायसेन जिले में स्थित है, जिसे 1989 में विश्व विरासत धरोहर के रूप में शामिल किया गया। इन स्मारकों के निर्माण की शुरूआत मौर्य वंश के शासक अशोक के शासनकाल में हुई।

हुमायूँ का मकबरा

यह मकबरा दिल्ली में स्थित है, जिसे 1993 में विश्व विरासत धरोहर के रूप में शामिल किया गया। इस मकबरे का निर्माण कार्य हमीदा बानो बेगम (हाजी बेगम) ने 1565 ई0 में अपने पति मुगल सम्राट हुमायूँ की याद में शुरू करवाया था, जो कि 1572 ई0 में पूरी तरह बनकर तैयार हुआ। इस मकबरे का वास्तुकार मिराक मिर्जा घियास था, जिसकी मृत्यु के बाद शेष कार्य उसके पुत्र सैय्यद मुहम्मद इब्न मिराक ने पूर्ण करवाया।

कुतुबमीनार

यह मीनार दिल्ली में स्थित है, जिसे 1993 में विश्व विरासत धरोहर के रूप में शामिल किया गया। इस मीनार को कुतुबुद्दीन ऐबक ने 1193 ई0 में ख्वाजा कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी की याद में बनवाया था। योजनानुसार इस मीनार की केवल चार मंजिल बनाई जानी थी और ऊंचाई 225 फीट निर्धारित थी, किन्तु कुतुबुद्दीन ऐबक इसकी केवल एक मंजिल ही बनवा सका, शेष तीन मंजिले कुतुबुद्दीन ऐबक के दामाद शम्सुद्दीन इल्तुतमिश ने बनवाया। फिरोजशाह तुगलक के शासनकाल में 1368 ई0 में इस मीनार पर बिजली गिरी और इसकी क्षतिग्रस्त चौथी मंजिल को तोड़कर उसकी जगह दो और मंजिल का निर्माण करवाया गया। इस मीनार की ऊंचाई लगभग 234 फीट (73 मीटर) है, जिसकी पहली तीन मंजिले लाल बलुआ पत्थर और शेष दो मंजिले संगमरमर व बलुआ पत्थर से मिलकर बनी हुई है।

दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे

इस रेलमार्ग को 1999 में विश्व विरासत धरोहर के रूप में शामिल किया गया। इसका विस्तार पश्चिम बंगाल के न्यू जलपाईगुड़ी और दार्जिलिंग रेलवे स्टेशन के मध्य है।

बोधगया स्थित महाबोधि मंदिर परिसर

यह मंदिर परिसर बिहार के गया जिले में स्थित है, जिसे 2002 में विश्व विरासत धरोहर के रूप में शामिल किया गया। यह परिसर गौतम बुद्ध के जीवन से सम्बन्धित चार प्रमुख स्थानों में से वह स्थान है जहाँ गौतम बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी।

भीमबेटका के रॉक शेल्टर्स

यह रॉक शेल्टर्स मध्य प्रदेश के रायसेन जिले में स्थित है, जिसे 2003 में विश्व विरासत धरोहर के रूप में शामिल किया गया।

छत्रपति शिवाजी टर्मिनस (विक्टोरिया टर्मिनस)

यह टर्मिनस महाराष्ट्र के मुंबई में स्थित है, जिसे 2004 में विश्व विरासत धरोहर के रूप में शामिल किया गया। इस टर्मिनस का निर्माण कार्य 1878 ई0 में शुरू किया गया था, जो कि 1888 ई0 में पूरी तरह बनकर तैयार हो गया। इस टर्मिनस का नाम इंग्लैंड की महारानी विक्टोरिया के नाम पर विक्टोरिया टर्मिनस पड़ा, जिसका 1996 में तत्कालीन रेल मंत्री सुरेश कलमाडी ने नाम बदलकर छत्रपति शिवाजी टर्मिनस कर दिया। इस टर्मिनस के आर्किटेक्ट फ्रेडरिक विलियम स्टीवंस थे।

चंपानेर पावागढ़ आर्कियोलॉजिकल पार्क

यह पार्क गुजरात के पंचमहल जिले में स्थित है, जिसे 2004 में विश्व विरासत धरोहर के रूप में शामिल किया गया।

गंगईकोंडा चोलपुरम स्थित बृहदेश्वर मंदिर

यह मंदिर तमिलनाडू के अरियालूर जिले में स्थित है, जिसे 2004 में विश्व विरासत धरोहर के रूप में शामिल किया गया। यह मंदिर मुख्य रूप से भगवान शिव को समर्पित है जिसका निर्माण चोल वंश के शासक राजेन्द्र प्रथम ने कराया था।

दारासुरम स्थित ऐरावतेश्वर मंदिर

यह मंदिर तमिलनाडू के थंजावुर जिले में स्थित है, जिसे 2004 में विश्व विरासत धरोहर के रूप में शामिल किया गया। यह मंदिर मुख्य रूप से भगवान शिव को समर्पित है जिसका निर्माण चोल वंश के शासक राजराज द्वितीय ने कराया था।

फूलों की घाटी नेशनल पार्क

यह नेशनल पार्क उत्तराखंड के चमोली जिले के अन्तर्गत आता है, जिसे 2005 में विश्व विरासत धरोहर के रूप में शामिल किया गया। इसे 1982 में नेशनल पार्क के रूप में घोषित किया गया था।

नीलगिरि माउंटेन रेलवे

इस रेलमार्ग को 2005 में विश्व विरासत धरोहर के रूप में शामिल किया गया। इसका विस्तार तमिलनाडू के Mettupalayam और उदगमंडलम (ऊटी) रेलवे स्टेशन के मध्य है।

लाल किला परिसर

यह परिसर दिल्ली में स्थित है, जिसे 2007 में विश्व विरासत धरोहर के रूप में शामिल किया गया। इस परिसर का निर्माण कार्य मुगल सम्राट शाहजहां ने 1638 ई0 में शुरू करवाया था, जो कि 1648 ई0 में बनकर तैयार हो गया। इस परिसर के निर्माण की शुरूआत तब हुई, जब शाहजहां ने अपनी राजधानी को आगरा से दिल्ली स्थानांतरित करने का फैसला किया। यह मुख्य रूप से लाल बलुआ पत्थर से बना हुआ है और इसके डिजाइन का श्रेय वास्तुकार उस्ताद अहमद लाहौरी को जाता है, जिन्होंने ताजमहल को भी डिजाइन किया था।

कालका-शिमला रेलवे

इस रेलमार्ग को 2008 में विश्व विरासत धरोहर के रूप में शामिल किया गया। इसका विस्तार हिमाचल प्रदेश के कालका और शिमला रेलवे स्टेशन के मध्य है।

जंतर मंतर

यह वेधशाला (Observatory) राजस्थान के जयपुर जिले में स्थित है, जिसे 2010 में विश्व विरासत धरोहर के रूप में शामिल किया गया। इस वेधशाला (Observatory) का निर्माण कार्य राजपूत शासक सवाई जयसिंह द्वितीय द्वारा 1728 ई0 में शुरू करवाया गया, जो कि 1734 ई0 में पूरी तरह बनकर तैयार हुआ। इसके अलावा सवाई जयसिंह द्वितीय ने चार वेधशालाओं का निर्माण क्रमशः नई दिल्ली, उज्जैन, मथुरा और वाराणसी में (1724-1735) ई0 के बीच करवाया, जिनमें जयपुर की वेधशाला (Observatory) सबसे बड़ी है। इस वेधशाला में कुल 19 खगोलीय यंत्र है, जिसमें दुनिया की सबसे बड़ी पत्थर की बनी सूर्यघड़ी (सम्राट यंत्र) प्रमुख है।

पश्चिमी घाट

इन घाटों का विस्तार भारत के 6 प्रमुख राज्यों जैसे – गुजरात, महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक, केरल व तमिलनाडू में है, जिन्हें 2012 में विश्व विरासत धरोहर के रूप में शामिल किया गया। यह घाट भारतीय जैव विविधता के सबसे समृद्ध हॉटस्पॉट में से एक है, जिन्हें सह्याद्रि माउंटेन के नाम से भी जाना जाता है। प्रायद्वीपीय भारत की अधिकांश नदियाँ जैसे – कृष्णा, कावेरी, गोदावरी व पेरियार का उद्गम इन्हीं घाटों से ही होता है।

पहाड़ी किले

यह किले राजस्थान में स्थित है, जिन्हें 2013 में विश्व विरासत धरोहर के रूप में शामिल किया गया। इसके अन्तर्गत आने वाले किले इस प्रकार है – अम्बर किला, गागरोन किला, जैसलमेर किला, कुंभलगढ़ किला, रणथम्भौर किला और चित्तौड़गढ़ किला।

रानी के वाव अथवा बावड़ी

यह बावड़ी गुजरात के पाटन जिले में स्थित है, जिसे 2014 में विश्व विरासत धरोहर के रूप में शामिल किया गया। इस बावड़ी को रानी उदयामति ने 1063 ई0 में अपने पति, सोलंकी वंश के शासक भीमदेव प्रथम की याद में बनवाया था।

ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क

यह नेशनल पार्क हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले के अन्तर्गत आता है, जिसे 2014 में विश्व विरासत धरोहर के रूप में शामिल किया गया। इसे 1999 में नेशनल पार्क के रूप में घोषित किया गया था।

नालंदा महाविहार (विश्वविद्यालय)

यह महाविहार बिहार के नालंदा जिले में स्थित है, जिसे 2016 में विश्व विरासत धरोहर के रूप में शामिल किया गया। प्राचीन काल में यह बौद्ध धर्म की शिक्षा का प्रमुख केन्द्र था और इसकी स्थापना गुप्त वंश के शासक कुमारगुप्त प्रथम ने की थी। हर्षवर्धन के शासनकाल में, प्रसिद्ध चीनी यात्री ह्वेनसांग (629-645) ई0 के बीच भारत में रहा और इस दौरान वह 637 ई0 में नालंदा महाविहार भी गया। इस महाविहार का विध्वंस बख्तियार खिलजी ने किया, जो कि एक तुर्क सेनापति था और बाद में कुतुबुद्दीन ऐबक का सहायक सेनापति भी रहा।

कंचनजंगा नेशनल पार्क

यह नेशनल पार्क सिक्किम के जिले के अन्तर्गत आता है, जिसे 2016 में विश्व विरासत धरोहर के रूप में शामिल किया गया। इसे 1977 में नेशनल पार्क के रूप में घोषित किया गया था।

ली कार्बुसियर के वास्तुकला सम्बन्धी कार्य

यह वास्तुकला संबंधी कार्य चंडीगढ़ के जिले में स्थित है, जिसे 2016 में विश्व विरासत धरोहर के रूप में शामिल किया गया।

अहमदाबाद का ऐतिहासिक शहर

यह शहर गुजरात में स्थित है, जिसे 2017 में विश्व विरासत धरोहर के रूप में शामिल किया गया। इस शहर की स्थापना 1411 ई0 में सुल्तान अहमदशाह प्रथम ने की और इसके अलावा यह शहर 'Manchester of India' के नाम से भी जाना जाता है।

द विक्टोरियन गोथिक एंड आर्ट डेको

इस स्थापत्य कला के भवन महाराष्ट्र के मुंबई में स्थित है, जिसे 2018 में विश्व विरासत धरोहर के रूप में शामिल किया गया। इनमें मुख्य रूप से विक्टोरियन गोथिक स्थापत्य कला का सबसे अच्छा उदाहरण 'बॉम्बे हाईकोर्ट' और आर्ट डेको स्थापत्य कला का सबसे अच्छा उदाहरण 'इरोस सिनेमा' है।

जयपुर शहर

यह शहर राजस्थान में स्थित है, जिसे 2019 में विश्व विरासत धरोहर के रूप में शामिल किया गया। इस शहर की स्थापना 1727 ई0 में राजपूत शासक सवाई जयसिंह द्वितीय ने की थी। इस शहर के बारे में एक दिलचस्प बात यह है कि 1876 ई0 में इंग्लैंड की महारानी एलिजाबेथ और प्रिंस ऑफ वेल्स युवराज अल्बर्ट के जयपुर आगमन पर तत्कालीन महाराज सवाई रामसिंह ने पूरे जयपुर शहर को गुलाबी रंग से सजवा दिया, तभी से इस शहर को 'Pink City' कहा जाने लगा।

काकतीय रूद्रेश्वर मंदिर

यह मंदिर तेलंगाना के मुलुगु जिले में स्थित है, जिसे 2021 में विश्व विरासत धरोहर के रूप में शामिल किया गया। यह मंदिर मुख्य रूप से रामालिंगेश्वर स्वामी नामक देवता को समर्पित है जिसका निर्माण 1213 ई0 में काकतीय वंश के शासक गणपति देव के सेनापति रेचेरला रूद्रदेव ने कराया था और 40 साल तक इस मंदिर में काम करने वाले मूर्तिकार 'रामप्पा' के नाम पर इसे 'रामप्पा मंदिर' कहा जाने लगा। इस मंदिर की खास बात यह है कि इसके निर्माण में SandBox Technique का प्रयोग किया गया है, जो कि भूकम्प की तीव्रता को कम करता है।

धौलावीरा : एक हड़प्पा शहर

यह पुरातत्व स्थल सिंधु घाटी (हड़प्पा) सभ्यता से सम्बन्धित है, जिसे 2021 में विश्व विरासत धरोहर के रूप में शामिल गया। इस स्थल का उत्खनन कार्य सबसे पहले 1967-68 ई0 में जगत पति जोशी के नेतृत्व में गुजरात के कच्छ नामक जिले में शुरू किया गया था।