गर्मी का मौसम था। सुबह की खिली धूप में एक टिड्डा बड़े ही मजे के साथ घास-फूस पर फुदक रहा था। वह बड़ा ही खुश था और उस खुशी में नाचते-गाते हुए जिन्दगी के भरपूर मजे ले रहा था।

एक दिन टिड्डे ने देखा कि एक चींटी बहुत ही संतुलित तरीके से अनाज के एक दाने को अपनी पीठ पर लादकर ले जा रही थी। वह सुबह से शाम तक एक ही कार्य को दोहराते हुए वास्तव में कड़ी मेहनत कर रही थी। टिड्डे ने चींटी को भी अपने साथ मौज-मस्ती करने के लिए कहा, लेकिन उसने मना कर दिया और अपना काम जारी रखा। चींटी को काम करता देख टिड्डा जोर-जोर से हँसा और उसका मजाक उड़ाते हुए बोला कि पूरी गर्मी के लिए उसके पास पर्याप्त अनाज है।

यह सुनकर चींटी ने कहा, 'अरे टिड्डा भाई! यह अनाज मैं सर्दियों के लिए इकट्ठा कर रही हूँ। जब सर्दियों के मौसम में बर्फ गिरती है और मुझे बाहर खाना नहीं मिलता तो इससे मुझे बहुत मदद मिलती है। मेरी सलाह मानो तो तुम भी सर्दियों के लिए कुछ अनाज इकट्ठा कर लो।'

टिड्डा जोर से हँसा और बोला कि सर्दी का मौसम अभी आया नहीं है, लेकिन जब मौसम आयेगा तो मुझे यकीन है कि मैं अपने लिए अनाज का प्रबन्ध अवश्य कर लूँगा।

दिन ऐसे ही बीतते गए और फिर सर्दी का मौसम भी आ गया। हर जगह बर्फ गिरने लगी और सब कुछ बर्फ में ढक गया। परिस्थितियाँ बिल्कुल बदल गई। टिड्डे के लिए अनाज और आश्रय ढूँढना अत्यन्त कठिन हो गया। वह अब न तो गा सकता था और न ही मौज-मस्ती, क्योंकि उस समय वह जीवित रहने के लिए कठिन संघर्ष कर रहा था। जब वह भूख सहन नहीं कर सका, तो उसे याद आया कि कैसे वह चींटी सर्दियों के लिए अनाज इकट्ठा करते हुए पूरी गर्मी भर कड़ी मेहनत कर रही थी और वह आराम से मौज-मस्ती में अपने दिन काट रहा था।

जब उसे कोई रास्ता समझ में नहीं आया तो उसने सीधे उस चींटी से मिलने का फैसला किया, जिसका वह अक्सर मजाक उड़ाया करता था। वह उसके घर की ओर बढ़ा और दरवाजा खटखटाया। चींटी ने अन्दर से दरवाजा खोला और बोली, 'अरे टिड्डा भाई! तुम कैसे हो?' तब टिड्डे ने उससे कुछ अनाज और आश्रय देने का आग्रह किया। 'मुझे बहुत भूख लग रही है। कृपया अपने इकठ्ठा किए अनाज में से कुछ मुझे भी दे दो', ऐसा उसने कहा।

परिस्थितियों को जानकार, चींटी ने विनम्रतापूर्वक उसे कुछ अनाज दिया और उसके लिए घास-फूस का प्रबन्ध किया जिसके लिए टिड्डा उसका आभार महसूस कर रहा था। साथ ही, उसे पूरी गर्मी भर चींटी द्वारा अनाज इकट्ठा करने के महत्व का भी एहसास हुआ।

उसने एक बहुत ही मूल्यवान सबक सीखा और समझा कि कड़ी मेहनत करना और सर्दियों के मौसम के लिए अनाज बचाना कितना महत्वपूर्ण है।