वर्ष 2020 और 2021 में विश्व में बहुत अनिश्चय की स्थिति रही, कई स्तरों पर दुःख-दर्द बढ़ा। नए वर्ष में दुनिया भर के लोग चाहेंगे कि हम इन चिंताओं को पीछे छोड़कर एक बेहतर समय देख पाएं व दीर्घकालीन समाधान पाएं। कोविड महामारी जैसी बड़ी चुनौतियां नए वर्ष में दुनिया के सामने है और इसने स्वास्थ्य प्रणाली के प्रति अभूतपूर्व चुनौती पेश की है, जिससे परस्पर आपसी सहयोग से ही निपटा जा सकता है।

आंकड़े बताते है कि महामारी के इस दौर में गरीब और अमीर के बीच काफी असमानता पैदा हुई है। दुनिया के सर्वाधिक अमीर लोगों की सम्पत्ति बढ़कर दो गुनी हो गई है और दूसरी ओर 15 करोड़ से अधिक लोग गरीबी झेलने को मजबूर है। निस्संदेह दुनिया में यह असमानता कोई आज अचानक पैदा नहीं हुई है, लेकिन महामारी ने इसे बढ़ाने में उत्प्रेरक का काम किया है। दरअसल यह लड़ने की तकनीक और टीकों पर अपना एकाधिकार हासिल करने को लेकर हो रहे संघर्ष का भी नतीजा है। हालांकि टीकों को लेकर विभिन्न देशों की नीतियों और क्षमताओं को लेकर एक अलग बहस हो सकती है।

दुनिया भर में कोविड महामारी की समस्या ने सबको परेशान कर रखा है। कोविड की दूसरी लहर ने भारत में भी काफी कोहराम मचाया और अब ओमिक्रॉन वैरिएण्ट के आने से महामारी की तीसरी लहर की आशंका सिर पर फिर से मंडरा रही है। चूंकि ओमिक्रॉन, कोरोना की दूसरी लहर के लिए जिम्मेदार डेल्टा वैरिएण्ट से अधिक तेजी से फैलता है, इसलिए अतिरिक्त सतर्कता की जरूरत है। बीते कुछ दिनों में जिस तेजी से संक्रमण के मामले बढ़े है, उससे यह भी लगता है कि हम इस महामारी से निपटने के लिए अभी पूरी तरीके से तैयार नहीं थे। कोरोना वायरस बार-बार अपना स्वरूप बदल रहा है, लिहाजा इसके संक्रमण को हल्के में नहीं लिया जा सकता है।

कोविड के बढ़ते आंकड़ों और ओमिक्रॉन वैरिएण्ट के नए स्वरूप के बीच यह बेहद जरूरी है कि पिछड़ गई आबादी को भी वैक्सीन लगवाने के लिए आगे प्रोत्साहित किया जाए ताकि इस महामारी के खतरे को कम किया जा सके। दुनिया भर के अमीर देशों ने कोविड वैक्सीन की जमाखोरी कर रखी है, जबकि कई निर्धन देशों के पास अपने नागरिकों के टीकाकरण के लिए वैक्सीन की भारी कमी है।

भारत ने दुनिया के कई देशों को कोविड वैक्सीन की आपूर्ति की है। अपने देश में भी बहुत तेजी से टीकाकरण अभियान चलाया जा रहा है। देश में लगभग 64 फीसदी आबादी को टीके की दोनों खुराक और करीब 90 फीसदी लोगों को टीके की पहली खुराक मिल चुकी है। दुनिया के विकसित और अमीर देशों को निर्धन देशों के नागरिकों के लिए टीके की आपूर्ति करनी चाहिए, क्योंकि जब तक एक भी व्यक्ति महामारी से आरक्षित रहेगा, महामारी के बार-बार लौटने की आशंका बनी रहेगी।

देश की पूर्ण आबादी का टीकाकरण होने में काफी लम्बा समय लगने वाला है, इसलिए सभी नागरिकों को चाहिए कि वह कोविड प्रोटोकॉल का पालन करे, भीड़भाड़ से बचे, मास्क लगाए और जरूरत पड़ने पर चिकित्सक से तुरंत सलाह ले ताकि इस वर्ष महामारी से बहुत ज्यादा नुकसान न हो। परस्पर सहयोग की भावना से एक नागरिक के तौर पर हम अपने देश को इस संकट से उबारने में मदद कर पाएंगे।