इस आर्टिकल में, प्राचीन भारत के प्रमुख राजवंश और उनके संस्थापक का उल्लेख किया जा रहा है जो कि प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए काफी महत्वपूर्ण है और इससे सम्बंधित प्रश्न कई बार पूछे गए है।

राजवंश और उनके संस्थापक

हर्यक वंश

(1) इस वंश की स्थापना बिम्बिसार ने 544 ईसा पूर्व की।
(2) इस वंश के शासकों से सम्बन्धित प्रमुख तथ्य इस प्रकार है –
• बिम्बिसार को 'श्रेणिक' नाम से जाना जाता है।
• बिम्बिसार के द्वारा राजगृह नगर की स्थापना की गई।
• अजातशत्रु को 'कुणिक' नाम से जाना जाता है।
• अजातशत्रु के शासनकाल में, 483 ईसा पूर्व राजगृह नामक स्थान पर महाकश्यप की अध्यक्षता में प्रथम बौद्ध संगीति का आयोजन हुआ।
• उदायिन के द्वारा पाटलिपुत्र नगर की स्थापना की गई।
• उदायिन को बौद्ध ग्रंथों में पितृहन्ता और जैन ग्रंथों में पितृभक्त बताया गया है।
(3) इस वंश के प्रमुख शासक बिम्बिसार, अजातशत्रु, उदायिन और नागदशक हुए।
(4) इस वंश का अंतिम शासक नागदशक था।

शिशुनाग वंश

(1) इस वंश की स्थापना शिशुनाग ने 412 ईसा पूर्व की।
(2) इस वंश के शासकों से सम्बन्धित प्रमुख तथ्य इस प्रकार है –
• शिशुनाग ने अवन्ति राज्य को मगध साम्राज्य में मिलाया।
• कालाशोक के शासनकाल में, 383 ईसा पूर्व वैशाली नामक स्थान पर सबाकामी की अध्यक्षता में द्वितीय बौद्ध संगीति का आयोजन हुआ।
(3) इस वंश के प्रमुख शासक शिशुनाग, कालाशोक और नंदिवर्धन हुए।
(4)इस वंश का अंतिम शासक नंदिवर्धन था।

नन्द वंश

(1) इस वंश की स्थापना महापदमनन्द ने 344 ईसा पूर्व की।
(2) इस वंश के प्रमुख शासक महापदमनन्द और धनानन्द हुए।
(3) इस वंश का अंतिम शासक धनानन्द था।

मौर्य वंश

(1) इस वंश की स्थापना चन्द्रगुप्त ने 323 ईसा पूर्व की।
(2) इस वंश के शासकों से सम्बन्धित प्रमुख तथ्य इस प्रकार है –
• चन्द्रगुप्त को भारत का पहला महान सम्राट माना जाता है।
• चन्द्रगुप्त ने ही सर्वप्रथम यूनानियों को भारत से बाहर निकाला।
• चन्द्रगुप्त के शासनकाल में, 300 ईसा पूर्व पाटलिपुत्र नामक स्थान पर स्थूलभद्र की अध्यक्षता में प्रथम जैन संगीति का आयोजन हुआ।
• चन्द्रगुप्त ने 305 ईसा पूर्व सेल्यूकस को युद्ध में पराजित किया, परिणाम स्वरूप सेल्यूकस को अपनी पुत्री का विवाह चन्द्रगुप्त से करने के लिए बाध्य होना पड़ा।
• बिन्दुसार को 'अमित्रघात' नाम से जाना जाता है।
• बिन्दुसार के शासनकाल में यूनानी राजदूत डाइमेकस भारत आया।
• बिन्दुसार के शासनकाल में तक्षशिला का विद्रोह हुआ, जिसे दबाने के लिए उसने अशोक और सुसीम को भेजा था।
• अशोक को 'देवानामप्रियदर्शी' नाम से जाना जाता है।
• अशोक के द्वारा श्रीनगर और ललितपत्तन नगर की स्थापना की गई।
• अशोक के शासनकाल में, 255 ईसा पूर्व पाटलिपुत्र नामक स्थान पर मोगलिपुत्ततिस्म की अध्यक्षता में तृतीय बौद्ध संगीति का आयोजन हुआ।
• अशोक ने 261 ईसा पूर्व कलिंग के शासक को पराजित किया। इस युद्ध में अपार जनधन की हानि हुई, जिससे दुःखी होकर अशोक ने बौद्ध धर्म को अपनाया।
(3) इस वंश के तीन शासकों (चन्द्रगुप्त, बिन्दुसार व अशोक) के राज्य का संचालन चाणक्य की देख-रेख में हुआ।
(4) इस वंश का राजकीय चिन्ह मोर था।
(5) इस वंश के प्रमुख शासक चन्द्रगुप्त, बिन्दुसार और अशोक हुए।
(6) इस वंश का अंतिम शासक बृहद्रथ था।

शुंग वंश

• इस वंश की स्थापना पुष्यमित्र ने 184 ईसा पूर्व की।
• इस वंश का अंतिम शासक देवभूति था।

कण्व वंश

• इस वंश की स्थापना वासुदेव ने 73 ईसा पूर्व की।
• इस वंश का अंतिम शासक सुशर्मा था।

सातवाहन वंश

(1) इस वंश की स्थापना सिमुक ने 30 ईसा पूर्व की।
(2) इस वंश का सबसे महान और प्रतापी शासक गौतमीपुत्र शातकर्णि था।
(3) इस वंश के प्रमुख शासक सिमुक, शातकर्णि प्रथम, गौतमीपुत्र शातकर्णि, शातकर्णि द्वितीय, वशिष्ठीपुत्र, पुलुमावी और यज्ञश्री शातकर्णि हुए।
(4) इस वंश के अन्तिम शासक के बारें में विद्वानों में मतभेद है क्योकि पुराणों में इस वंश के शासकों की संख्या और उनकी समय अवधि अलग-अलग है।

कुषाण वंश

(1) इस वंश की स्थापना कुजुल कडफिसेस ने 15 ईस्वी में की।
(2) इस वंश के शासकों से सम्बन्धित प्रमुख तथ्य इस प्रकार है –
• कनिष्क के द्वारा सिरकप नगर की स्थापना की गई।
• कनिष्क के द्वारा 78 ईस्वी में शक संवत् चलाया गया, जो कि भारत के राष्ट्रीय पंचांग का मुख्य आधार है।
• कनिष्क के शासनकाल दौरान, ईस्वी की प्रथम शताब्दी में कुण्डलवन नामक स्थान पर वसुमित्र की अध्यक्षता में चतुर्थ बौद्ध संगीति का आयोजन हुआ।
(3) इस वंश के शासक देवपुत्र कहा जाता था।
(4) इस वंश के प्रमुख शासक कुजुल कडफिसेस, विम कडफिसेस और कनिष्क हुए।
(5) इस वंश का अन्तिम शासक वासुदेव था।

गुप्त वंश

(1) इस वंश की स्थापना श्रीगुप्त ने 240 ईस्वी में की।
(2) इस वंश के शासकों से सम्बन्धित प्रमुख तथ्य इस प्रकार है –
• चन्द्रगुप्त प्रथम ने (319-320) ईस्वी के बीच गुप्त संवत् चलाया।
• समुद्रगुप्त को 'कविराज' नाम से जाना जाता है।
• समुद्रगुप्त ने आर्यावर्त के 9 शासकों और दक्षिणावर्त के 12 शासकों को युद्ध में पराजित किया था जिस वजह से विन्सेंट स्मिथ ने उसे भारत का नेपोलियन कहा।
• चन्द्रगुप्त द्वितीय को 'देवराज व देवगुप्त' नाम से जाना जाता है।
• चन्द्रगुप्त द्वितीय के शासनकाल में चीनी बौद्ध यात्री फाह्यान भारत आया।
• कुमारगुप्त प्रथम के द्वारा नालंदा विश्वविद्यालय (ऑक्सफोर्ड ऑफ महायान बौद्ध) की स्थापना की गई।
• स्कन्दगुप्त को 'शक्रोपम व परिक्षिप्तवृक्षा' नाम से जाना जाता है।
• स्कन्दगुप्त के द्वारा सुदर्शन झील का पुनर्निर्माण करवाया गया।
(3) इस वंश का राजकीय चिन्ह गरूड़ था।
(4) इस वंश के सर्वाधिक अभिलेख कुमारगुप्त प्रथम से सम्बन्धित मिले है जिनकी संख्या 18 है।
(5) इस वंश के प्रमुख शासक चन्द्रगुप्त प्रथम, समुद्रगुप्त, चन्द्रगुप्त द्वितीय, कुमारगुप्त प्रथम और स्कन्दगुप्त हुए।
(6) इस वंश का अंतिम शासक विष्णुगुप्त था।

पुष्यभूति (वर्धन) वंश

(1) इस वंश की स्थापना पुष्यभूति ने की।
(2) इस वंश के शासकों से सम्बन्धित प्रमुख तथ्य इस प्रकार है –
• प्रभाकरवर्धन ने अपनी पुत्री राज्यश्री का विवाह कन्नौज के मौखरि नरेश गृहवर्मा से किया, जिसे मालवा के शासक देवगुप्त ने मार डाला। इसका बदला लेने के लिए प्रभाकरवर्धन के बड़े पुत्र राज्यवर्धन ने मालवा पर आक्रमण कर देवगुप्त को मार डाला, परन्तु देवगुप्त के मित्र बंगाल नरेश शशांक ने उसे धोखे से उसकी हत्या कर दी। प्रभाकरवर्धन के छोटे पुत्र हर्षवर्धन ने अपने बड़े भाई राज्यवर्धन की मौत का बदला लेने के लिए बंगाल पर आक्रमण किया, किन्तु उसे सफलता अपने शासनकाल के अन्तिम चरण में मिली।
• हर्षवर्धन को 'शिलादित्य' नाम से जाना जाता है।
• हर्षवर्धन के शासनकाल में चीनी यात्री ह्वेनसांग भारत आया।
• हर्षवर्धन को चालुक्य वंश के शासक पुलकेशिन द्वितीय के हाथों हार का सामना करना पड़ा।
(3) इस वंश का सबसे महान और प्रतापी शासक हर्षवर्धन था।
(4) इस वंश के प्रमुख शासक प्रभाकरवर्धन, राज्यवर्धन द्वितीय और हर्षवर्धन हुए।

हूण वंश

• इस वंश की स्थापना तोरमाण ने की।
• इस वंश का अन्तिम शासक मिहिरकुल था।

गुर्जर प्रतिहार वंश

(1) इस वंश की स्थापना नागभट्ट प्रथम ने 730 ईस्वी में की।
(2) इस वंश के शासकों से सम्बन्धित प्रमुख तथ्य इस प्रकार है –
• नागभट्ट द्वितीय ने कन्नौज के शासक चक्रायुध को हराया।
• मिहिरभोज के शासनकाल में अरबी यात्री सुलेमान भारत आया।
(3) इस वंश का सबसे महान और प्रतापी शासक मिहिरभोज था।
(4) इस वंश के प्रमुख शासक नागभट्ट प्रथम, वत्सराज, नागभट्ट द्वितीय और मिहिरभोज हुए।
(5) इस वंश का अन्तिम शासक यशपाल था।

पाल वंश

(1) इस वंश की स्थापना गोपाल ने 750 ईस्वी में की।
(2) इस वंश के शासकों से सम्बन्धित प्रमुख तथ्य इस प्रकार है –
• गोपाल के द्वारा ओदंतपुरी विश्वविद्यालय की स्थापना की गई।
• धर्मपाल के द्वारा विक्रमशिला विश्वविद्यालय की स्थापना की गई।
(3) इस वंश का सबसे महान और प्रतापी शासक देवपाल था।
(4) इस वंश के प्रमुख शासक धर्मपाल, देवपाल, महिपाल प्रथम, विग्रहपाल द्वितीय और महिपाल द्वितीय हुए।

चंदेल वंश

(1) इस वंश की स्थापना नन्नुक ने 831 ईस्वी में की।
(2) इस वंश के शासकों से सम्बन्धित प्रमुख तथ्य इस प्रकार है –
• यशोवर्मन के द्वारा खजुराहो के चतुर्भुज मन्दिर का निर्माण करवाया गया।
• धंगदेव के द्वारा कंदरिया महादेव मन्दिर का निर्माण करवाया गया।
• परमार्दिदेव के दरबार में आल्हा और ऊदल नामक योद्धा रहते थे, जो कि पृथ्वीराज तृतीय के साथ हुए युद्ध में मारे गये थे।
(3) इस वंश का सबसे महान और प्रतापी शासक यशोवर्मन था।
(4) इस वंश के प्रमुख शासक यशोवर्मन, धंगदेव, विद्याधर और परमार्दिदेव हुए।
(5) इस वंश का अन्तिम शासक वीरवर्मन द्वितीय था।

कलचुरी (चेदि) वंश

• इस वंश की स्थापना कोकल्ल प्रथम ने 845 ईस्वी में की।
• इस वंश का सबसे प्रतापी और महान शासक कर्णदेव था।
• इस वंश का अन्तिम शासक विजयसिंह था।

चालुक्य (सोलंकी) वंश

• इस वंश की स्थापना मूलराज प्रथम ने 942 ईस्वी में की।
• इस वंश का अन्तिम शासक भीम द्वितीय था।

सेन वंश

(1) इस वंश की स्थापना सामंत सेन ने 1050 ईस्वी में की, जिसे 'ब्रह्मक्षत्रिय' नाम से जाना जाता है।
(2) इस वंश के प्रमुख शासक विजय सेन, बल्लाल सेन और लक्ष्मण सेन हुए।
(3) इस वंश का अन्तिम शासक लक्ष्मण सेन था।

गहड़वाल वंश

(1) इस वंश की स्थापना चंद्रदेव ने 1080 ईस्वी में की।
(2) इस वंश का सबसे महान और प्रतापी शासक गोविन्द चन्द्र था।
(3) इस वंश का अन्तिम शासक जयचंद्र था।

परमार वंश

(1) इस वंश की स्थापना उपेंद्र ने की।
(2) इस वंश के शासकों से सम्बन्धित प्रमुख तथ्य इस प्रकार है –
• मुंज ने तैलप द्वितीय को छः बार युद्ध में पराजित किया।
• भोज को 'कविराज' नाम से जाना जाता है।
• भोज के द्वारा धार नगर की स्थापना की गई।
(3) इस वंश के प्रमुख शासक सियक, मुंज, सिंधुराज और भोज हुए।
(4) इस वंश का अन्तिम शासक भोज था।

चौहान वंश

(1) इस वंश की स्थापना वासुदेव ने की।
(2) इस वंश के शासकों से सम्बन्धित प्रमुख तथ्य इस प्रकार है –
• अजयराज के द्वारा अजमेर नगर की स्थापना की गई।
• पृथ्वीराज तृतीय ने स्वयंवर से जयचंद्र की पुत्री संयोगिता का अपहरण कर लिया था।
• पृथ्वीराज तृतीय ने 1191 ईस्वी में, मुहम्मद गोरी की सेना को तराइन के प्रथम युद्ध में हराया, परन्तु उसे 1192 ईस्वी में हुए तराइन के द्वितीय युद्ध के दौरान मुहम्मद गोरी की सेना के हाथों हार का सामना करना पड़ा।
(3) इस वंश के प्रमुख शासक विग्रहराज द्वितीय, अजयराज, अर्णोराज, विग्रहराज चतुर्थ और पृथ्वीराज तृतीय हुए।
(4) इस वंश का अन्तिम शासक पृथ्वीराज तृतीय था।

तोमर वंश

• इस वंश की स्थापना अनंगपाल ने की।
• अनंगपाल के द्वारा दिल्ली नगर की स्थापनाकी गई।

सिसोदिया वंश

• इस वंश की स्थापना हम्मीर देव ने की।
• इस वंश का सबसे महान और प्रतापी शासक महाराणा प्रताप था।

कार्कोट वंश

• इस वंश की स्थापना दुर्लभ वर्धन ने की।

उत्पल वंश

• इस वंश की स्थापना अवन्ति वर्मन ने की।

लोहार वंश

• इस वंश की स्थापना संग्राम राज ने की।
• इस वंश का अन्तिम शासक जयसिंह था।

पल्लव वंश

(1) इस वंश की स्थापना सिंहविष्णु ने की।
(2) इस वंश के शासकों से सम्बन्धित प्रमुख तथ्य इस प्रकार है –
• नरसिंहवर्मन प्रथम के द्वारा महाबलीपुरम् के एकाश्म मन्दिर (रथ) का निर्माण करवाया गया।
• नरसिंहवर्मन द्वितीय के द्वारा कांची के कैलाशनाथ (राजसिद्धेश्वर) मन्दिर का निर्माण करवाया गया।
• नंदिवर्मन द्वितीय के द्वारा कांची के मुक्तेश्वर मन्दिर और बैकुण्ठपेरूमाल मन्दिर का निर्माण करवाया गया।
(3) इस वंश के प्रमुख शासक महेन्द्रवर्मन प्रथम, नरसिंहवर्मन प्रथम, महेन्द्रवर्मन द्वितीय, परमेश्वर वर्मन प्रथम, नरसिंहवर्मन द्वितीय और नंदिवर्मन द्वितीय हुए।
(4) इस वंश का अन्तिम शासक अपराजित वर्मन था।

राष्ट्रकूट वंश

(1) इस वंश की स्थापना दन्तिदुर्ग ने 752 ईस्वी में की।
(2) इस वंश के शासकों से सम्बन्धित प्रमुख तथ्य इस प्रकार है –
• कृष्ण प्रथम के द्वारा कैलाश मन्दिर का निर्माण करवाया गया।
• ध्रुव को 'धारावर्ष' नाम से जाना जाता है।
• गोविन्द तृतीय ने गुर्जर प्रतिहार वंश के शासक नागभट्ट द्वितीय को हराया।
• अमोघवर्ष प्रथम ने तुंगभद्रा नदी में जल समाधि लेकर अपने जीवन का अंत किया।
• इन्द्र तृतीय के शासनकाल में अरब (बगदाद) यात्री अलमसूदी भारत आया।
• कृष्ण तृतीय ने तक्कोलम के युद्ध में परांतक प्रथम की सेना को हराया।
(3) इस वंश के प्रमुख शासक कृष्ण प्रथम, ध्रुव, गोविन्द तृतीय, अमोघवर्ष प्रथम, इन्द्र तृतीय और कृष्ण तृतीय हुए।
(4) इस वंश का अन्तिम शासक कर्क द्वितीय था।
(5) एलोरा और ऐलीफेंटा की गुफाओं का निर्माण इन्हीं वंश के शासकों के समय में हुआ।

चोल वंश

(1) इस वंश की स्थापना विजयालय ने 850 ईस्वी में की।
(2) इस वंश के शासकों से सम्बन्धित प्रमुख तथ्य इस प्रकार है –
• राजराज प्रथम के द्वारा राजराजेश्वर मन्दिर का निर्माण करवाया गया।
(3) इस वंश का अन्तिम शासक राजेंद्र तृतीय था।

चालुक्य (वेंगी) वंश

• इस वंश की स्थापना विष्णुवर्धन ने की।

चालुक्य (वातापी) वंश

• इस वंश की स्थापना जयसिंह ने की।
• इस वंश का अन्तिम शासक कीर्तिवर्मन द्वितीय था।

चालुक्य (कल्याणी) वंश

• इस वंश की स्थापना तैलप द्वितीय ने की।
• इस वंश का सबसे महान और प्रतापी शासक विक्रमादित्य षष्ठ था।
• इस वंश का अन्तिम शासक सोमेश्वर चतुर्थ था।

गंग वंश

• इस वंश की स्थापना ब्रजहस्त-5 अथवा कोंकणी वर्मन ने की।

कदम्ब वंश

• इस वंश की स्थापना मयूर शर्मन ने की।

यादव वंश

• इस वंश की स्थापना भिल्लम-5 ने की।
• इस वंश का अन्तिम शासक रामचंद्र था।

होयसल वंश

• इस वंश की स्थापना विष्णुवर्धन ने की।
• इस वंश का अन्तिम शासक वीर बल्लाल तृतीय था।

काकतीय वंश

• इस वंश की स्थापना बीटा प्रथम ने की।
• इस वंश का अन्तिम शासक प्रतापरूद्रदेव था।

गुलाम वंश

(1) इस वंश की स्थापना कुतुबद्दीन ऐबक ने 1206 ईस्वी में की।
(2) इस वंश के शासकों से सम्बन्धित प्रमुख तथ्य इस प्रकार है –
• कुतुबुद्दीन ऐबक की मृत्यु लाहौर में चौगान (पोलो) खेलते समय हुई।
• कुतुबद्दीन ऐबक को 'लाखबक्श' और 'हातिम द्वितीय' नाम से जाना जाता है।
• कुतुबुद्दीन ऐबक के द्वारा अजमेर के अढ़ाई दिन का झोपड़ा व दिल्ली की कुव्वत-उल-इस्लाम नामक मस्जिद का निर्माण करवाया गया।
• इल्तुतमिश के द्वारा इक्ता प्रणाली की शुरुआत की गई।
(3) इस वंश की अकेली महिला शासिका इल्तुतमिश की पुत्री रजिया थी।
(4) इस वंश के प्रमुख शासक कुतुबद्दीन ऐबक, इल्तुतमिश और गयासुद्दीन बलबन हुए।
(5) इस वंश का अन्तिम शासक शम्सुद्दीन क्यूमर्स था।

खिलजी वंश

(1) इस वंश की स्थापना जलालुद्दीन खिलजी ने 1290 ईस्वी में की।
(2) इस वंश के शासकों से सम्बन्धित प्रमुख तथ्य इस प्रकार है –
• अलाउद्दीन खिलजी के द्वारा डाक व्यवस्था की शुरूआत की गई।
• अलाउद्दीन खिलजी के द्वारा अलाई दरवाजा का निर्माण करवाया गया।
• अलाउद्दीन खिलजी के द्वारा घोड़ा दागने की प्रथा की शुरूआत की गई।
• अलाउद्दीन खिलजी के द्वारा बाजार नियंत्रण की पद्धति की शुरुआत की गई।
• अलाउद्दीन खिलजी के द्वारा सिक्कों पर तारीख लिखने की प्रथा की शुरूआत की गई।
(3) इस वंश के प्रमुख शासक जलालुद्दीन खिलजी और अलाउद्दीन खिलजी हुए।
(4) इस वंश का अन्तिम शासक कुतुबुद्दीन मुबारक शाह था।

तुगलक वंश

(1) इस वंश की स्थापना गयासुद्दीन तुगलक ने 1320 ईस्वी में की।
(2) इस वंश के शासकों से सम्बन्धित प्रमुख तथ्य इस प्रकार है –
• गयासुद्दीन तुगलक के द्वारा तुगलकाबाद नगर की स्थापना की गई।
• गयासुद्दीन तुगलक के द्वारा उन्तीस बार मंगोल आक्रमण को विफल किया गया।
• मुहम्मद बिन तुगलक के शासनकाल में मोरक्को यात्री इब्नबतूता भारत आया।
• फिरोजशाह तुगलक के द्वारा दिल्ली के फिरोजशाह कोटला दुर्ग का निर्माण करवाया गया।
• फिरोजशाह तुगलक के द्वारा हिसार, फिरोजाबाद, फतेहाबाद, जौनपुर और फिरोजपुर नगरों की स्थापना की गई।
• फिरोजशाह तुगलक के द्वारा पुरी के जगन्नाथ मन्दिर और नागरकोट के ज्वालामुखी मन्दिर का ध्वस्तीकरण करवाया गया।
(3) इस वंश के प्रमुख शासक गयासुद्दीन तुगलक, मुहम्मद बिन तुगलक और फिरोजशाह तुगलक हुए।
(4) इस वंश का अन्तिम शासक नासिरूद्दीन महमूद शाह था।

सैय्यद वंश

(1) इस वंश की स्थापना खिज्र खां ने 1414 ईस्वी में की।
(2) इस वंश के शासकों से सम्बन्धित प्रमुख तथ्य इस प्रकार है –
• खिज्र खां, तैमूरलंग का सेनापति था जिसे तैमूरलंग ने भारत से वापस लौटते समय मुल्तान, लाहौर और दिपालपुर का शासक नियुक्त किया।
• मुबारक शाह के द्वारा मुबारकाबाद नगर की स्थापना की गई।
(3) इस वंश के प्रमुख शासक खिज्र खां और मुबारक शाह हुए।
(4) इस वंश का अन्तिम शासक अलाउद्दीन आलम शाह था।

लोदी वंश

(1) इस वंश की स्थापना बहलोल लोदी ने 1451 ईस्वी में की।
(2) इस वंश के शासकों से सम्बन्धित प्रमुख तथ्य इस प्रकार है –
• सिकंदर लोदी के द्वारा आगरा नगर की स्थापना की गई।
• इब्राहिम लोदी एक मात्र सुल्तान था जो कि युद्धभूमि में मारा गया।
(3) इस वंश के प्रमुख शासक सिकंदर लोदी और इब्राहिम लोदी हुए।
(4) इस वंश का अन्तिम शासक इब्राहिम लोदी था।

संगम वंश

(1) इस वंश की स्थापना हरिहर और बुक्का ने 1336 ईस्वी में की।
(2) इस वंश के शासकों से सम्बन्धित प्रमुख तथ्य इस प्रकार है –
• हरिहर प्रथम के द्वारा विजयनगर की स्थापना की गई।
• देवराय प्रथम के शासनकाल में इटली यात्री निकोलो कोण्टी भारत आया।
• देवराय द्वितीय के शासनकाल में ईरानी राजदूत अब्दुर्रज्जाक भारत आया।
(3) इस वंश का अन्तिम शासक विरूपाक्ष द्वितीय था।

सालुव वंश

• इस वंश की स्थापना सालुव नरसिंह ने 1485 ईस्वी में की।
• इस वंश का अन्तिम शासक इम्माडि नरसिंह (सालुव नरसिंह का अल्प वयस्क पुत्र) था।

तुलुव वंश

(1) इस वंश की स्थापना वीर नरसिंह ने 1505 ईस्वी में की।
(2) इस वंश के शासकों से सम्बन्धित प्रमुख तथ्य इस प्रकार है –
• कृष्णदेव राय के शासनकाल में पुर्तगाली यात्री एडुअर्डो बारबोसा व डोमिंगो पायस भारत आये।
• अच्युत देवराय के शासनकाल में पुर्तगाली अश्व सौदागर फारनाओ नूनिज भारत आया।
(3) इस वंश का अन्तिम शासक सदाशिव था।

अराविडू वंश

• इस वंश की स्थापना तिरुमल ने की।
• इस वंश का अन्तिम शासक श्रीरंग तृतीय था।

बहमनी वंश

(1) इस वंश की स्थापना हसनगंगू ने 1347 ईस्वी में की।
(2) इस वंश का अन्तिम शासक कलीमुल्लाह था।
(3) इस वंश का शासन समाप्त होने के बाद पूरा साम्राज्य पाँच स्वतंत्र राज्यों में विभाजित हो गया जो इस प्रकार है –
• बीजापुर – इस राज्य के संस्थापक युसूफ आदिलशाह ने 1489 ईस्वी में आदिलशाही वंश की नींव रखी।
• अहमदनगर – इस राज्य के संस्थापक मालिक अहमद ने 1490 ईस्वी में निजामशाही वंश की नींव रखी।
• बरार – इस राज्य के संस्थापक फेतुल्लाह ने 1490 ईस्वी में इमादशाही वंश की नींव रखी।
• गोलकुण्डा – इस राज्य के संस्थापक कुली कुतुब उल मूल्क ने 1512 ईस्वी में कुतुबशाही वंश की नींव रखी।
• बीदर – इस राज्य के संस्थापक कासिम बरीद ने 1526 ईस्वी में बरीदशाही वंश की नींव रखी।

मुगल वंश

(1) इस वंश की स्थापना बाबर ने 1526 ईस्वी में की।
(2) इस वंश के शासकों से सम्बन्धित प्रमुख तथ्य इस प्रकार है –
• बाबर ने 1526 ईस्वी में, इब्राहिम लोदी की सेना को पानीपत के प्रथम युद्ध में हराया।
• बाबर ने 1527 ईस्वी में, राणा सांगा की सेना को खानवा के युद्ध में हराया।
• बाबर ने 1528 ईस्वी में, मेदिनी राय की सेना को चंदेरी के युद्ध में हराया।
• बाबर ने 1529 ईस्वी में, महमूद लोदी की सेना को घाघरा के युद्ध में हराया।
• हुमायूँ ने 1532 ईस्वी में, महमूद लोदी की सेना को दौराह के युद्ध में हराया।
• हुमायूँ ने 1555 ईस्वी में, अफगान सालार खां की सेना को माछीवाड़ा के युद्ध में हराया।
• हुमायूँ ने 1555 ईस्वी में, सिकंदर शाह सूरी की सेना को सरहिंद के युद्ध में हराया।
(3) इस वंश का अन्तिम शासक बहादुर शाह जफर था।

सूर वंश

(1) इस वंश की स्थापना शेरशाह ने 1540 ईस्वी में की।
(2) इस वंश के शासकों से सम्बन्धित प्रमुख तथ्य इस प्रकार है –
• शेरशाह को अकबर का अग्रदूत कहा जाता है।
• शेरशाह के द्वारा ग्राण्ड ट्रंक रोड का निर्माण करवाया गया।
• शेरशाह के द्वारा रोहतासगढ़ किला का निर्माण करवाया गया।
• शेरशाह ने 1539 ईस्वी में, हुमायूँ की सेना को चौसा के युद्ध में हराया।
• शेरशाह के द्वारा किला-ए-कुहना नामक मस्जिद का निर्माण करवाया गया।
• शेरशाह ने 1540 ईस्वी में, हुमायूँ की सेना को कन्नौज / बिलग्राम के युद्ध में हराया।
(3) इस वंश का अन्तिम शासक स्वयं शेरशाह ही था, जिसकी मृत्यु कालिंजर किले की दीवार से टकराकर लौटे तोप के गोले से हुई।

भोंसले वंश

• इस वंश की स्थापना शिवाजी ने की।

होल्कर वंश

• इस वंश की स्थापना मल्हार राव ने की।