इस आर्टिकल में, हम भारत के राष्ट्रीय प्रतीक के बारें में जानकारी देने वाले है जो कि एक महत्वपूर्ण टॉपिक है। यह सामान्य ज्ञान के हिसाब से बहुत ही अच्छा टॉपिक है और इससे सम्बन्धित प्रश्न विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे भी गए है।

National Symbols of India

राष्ट्रीय ध्वज



• पिंगली वेंकैया द्वारा डिजाइन किया गया 'तिरंगा' राष्ट्रीय ध्वज के रूप में 22 जुलाई 1947 को संविधान सभा द्वारा अपनाया गया। इसे सर्वप्रथम संविधान सभा में हंस मेहता ने प्रस्तुत किया था। इसमें तीन समान क्षैतिज पट्टियाँ होती है जिसमे सबसे ऊपर गहरे केसरिया रंग की पट्टी होती है जो जागृति, शौर्य एवं त्याग का प्रतीक है। बीच में सफेद रंग की पट्टी होती है जो सत्य एवं पवित्रता का प्रतीक है और इसके बीच में नीले रंग का चक्र भी बना हुआ है जिसमें 24 तीलियाँ बनी है जो कि प्रगति का प्रतीक है जिसे सारनाथ (वाराणसी) में स्थित अशोक के सिंह स्तम्भ पर बने चक्र से लिया गया है। सबसे आखिरी में गहरे हरे रंग की पट्टी होती है जो जीवन समृद्धि का प्रतीक है।
• राष्ट्रीय ध्वज को राष्ट्रीय शोक के समय झुका दिया जाता है। जब देश के वर्तमान (राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति अथवा प्रधानमंत्री) का निधन हो जाता है तो ध्वज को 12 दिन के लिए और जब देश के पूर्व (राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति अथवा प्रधानमंत्री) का निधन हो जाता है तो ध्वज को 7 दिन के लिए झुका दिया जाता है।
• जनवरी 2004 में उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश विश्वेश्वर नाथ खरे की अध्यक्षता में यह घोषणा की गई कि संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (अ) के अधीन राष्ट्रीय ध्वज फहराना प्रत्येक नागरिक का मूल अधिकार है।
• राष्ट्रीय ध्वज को बनाने में खादी कॉटन अथवा सिल्क का प्रयोग किया जाता है और इसमें चौड़ाई और ऊंचाई का अनुपात क्रमशः 3:2 के अनुपात में रखा जाता है।

राष्ट्रीय गीत

बंकिम चंद्र चटर्जी द्वारा रचित उपन्यास आनंदमठ से 'वंदे मातरम' को राष्ट्रीय गीत के रूप में 24 जनवरी 1950 को संविधान सभा द्वारा अपनाया गया। इसे सर्वप्रथम 1896 में बारहवें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस अधिवेशन में कलकत्ता में गाया गया, जिसके अध्यक्ष रहीम तुल्ला एम सयानी थे। इस गीत को गाने में 1 मिनट 5 सेकंड का समय लगता है।

'' वंदे मातरम्, वंदे मातरम्!
सुजलाम्, सुफलाम्, मलयज शीतलाम्,
शस्यश्यामलाम्, मातरम्!
वंदे मातरम्!
शुभ्रज्योत्सनाम् पुलकितयामिनीम्,
फुल्लकुसुमित द्रुमदल शोभिनीम्,
सुहासिनीम् सुमधुर भाषिणीम्,
सुखदाम् वरदाम्, मातरम्!
वंदे मातरम्, वंदे मातरम्॥ ''

राष्ट्रीय गान

रवीन्द्र नाथ टैगोर द्वारा रचित 'जन गण मन' को राष्ट्रीय गान के रूप में 24 जनवरी 1950 को संविधान सभा द्वारा अपनाया गया। इसे सर्वप्रथम 27 दिसंबर 1911 में सत्ताईसवें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस अधिवेशन में कलकत्ता में गाया गया, जिसके अध्यक्ष विशन नारायण धर थे। इसे गाने में 52 सेकंड का समय लगता है और इसकी संक्षिप्त अवधि 20 सेकंड है जिसमें इसकी प्रथम एवं अंतिम पंक्तियाँ गायी जाती है। आधुनिक राष्ट्रीय गान 'जन गण मन' की संगीतमय धुन बनाने का श्रेय कैप्टन राम सिंह ठाकुर को जाता है।

'' जन-गण-मन अधिनायक जय हे
भारत भाग्य विधाता।
पंजाब-सिंधु-गुजरात-मराठा
द्राविड़-उत्कल-बंग
विंध्य हिमाचल यमुना गंगा
उच्छल जलधि तरंग
तव शुभ नामे जागे, तव शुभ आशिष मांगे
गाहे तव जय-गाथा।
जन-गण-मंगलदायक जय हे भारत भाग्य विधाता।
जय हे, जय हे, जय हे, जय जय जय जय हे। ''

राज चिन्ह



सारनाथ (वाराणसी) में स्थित अशोक के स्तम्भ के शीर्ष भाग से लिये गये 'सिंह स्तम्भ' को राज चिन्ह के रूप में 26 जनवरी 1950 को संविधान सभा द्वारा अपनाया गया। इस स्तम्भ के शीर्ष भाग में चार सिंहों की आकृति बनी हुई है जो एक दूसरे के विपरीत दिशा में बैठे हुए है जो कि क्रमशः शक्ति, साहस, आत्मविश्वास और गर्व का प्रतीक है। इसके नीचे घण्टे के आकार के पदम के ऊपर चित्रवल्लरी में एक हाथी की आकृति बनी हुई है। मध्य भाग के बीच में चक्र बना हुआ है जिसके बायी ओर एक घोड़ा और दायी ओर एक सांड की आकृति बनी हुई है। इसके अलावा एक सिंह की आकृति भी बनी हुई है जिसके बीच-बीच में चक्र बने हुए है। अंतिम भाग में मुण्डकोपनिषद् से लिया गया सूत्र 'सत्यमेव जयते' देवनागरी लिपि में अंकित है जिसका अर्थ है 'सत्य की ही विजय होती है'।

राष्ट्रीय पुरस्कार

'भारत रत्न' भारत का सर्वोच्च राष्ट्रीय पुरस्कार और नागरिक सम्मान है। यह सम्मान राष्ट्रीय सेवा में असाधारण कार्य करने वाले व्यक्तियों को दिया जाता है, जिसके अंतर्गत विज्ञान, कला, साहित्य, खेल और सार्वजनिक सेवा के क्षेत्र शामिल है। इस सम्मान को देने की शुरुआत 2 जनवरी, 1954 को भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति श्री राजेंद्र प्रसाद द्वारा की गई थी। इस पुरस्कार के अंतर्गत प्राप्तकर्त्ता को केवल सर्टिफिकेट और मेडल दिया जाता है न कि कोई धनराशि।

राष्ट्रीय पंचांग

यह शक संवत् पर आधारित है, जिसे कनिष्क द्वारा 78 ई. में चलाया गया था। ग्रेगोरियन कैलेंडर के साथ देश भर के लिए शक संवत् पर आधारित राष्ट्रीय पंचांग को सरकारी कामकाज में प्रयोग के लिए 22 मार्च 1957 को अपनाया गया। इसका प्रयोग भारत के राजपत्र, आकाशवाणी द्वारा प्रसारित समाचार और सरकार द्वारा जारी संचार विज्ञाप्तियों में किया जाता है। इसका पहला महीना चैत्र (सामान्य वर्ष में पहला दिन 22 मार्च, अधिवर्ष में पहला दिन 21 मार्च) और अंतिम फाल्गुन है।

राष्ट्रीय पक्षी



'मोर' जिसका वैज्ञानिक नाम 'Pavo Cristatus' है, को राष्ट्रीय पक्षी के रूप में 1963 को अपनाया गया। यह एक सर्वाहारी पक्षी है जिसे हिन्दू धर्म में उच्च कोटि का स्थान प्राप्त है। भगवान श्रीकृष्ण ने मोर के पंख को अपने मुकुट में धारण करके और भगवान शिवजी के पुत्र कार्तिकेय ने इसे अपनी सवारी बनाकर, इसके महत्व को बढ़ाया है। इसके अलावा, इसकी उपस्थिति इतिहास के पन्नों में भी दर्ज है जहाँ चन्द्रगुप्त मौर्य ने इसे अपने विशाल साम्राज्य का राजकीय चिन्ह घोषित किया तो दूसरी तरफ मुगल बादशाह शाहजहां ने तख्त-ए-ताऊस का निर्माण करवाया, जैसी इसकी संरचना है।

राष्ट्रीय पशु



'बाघ' जिसका वैज्ञानिक नाम 'Panthera Tigris' है, को राष्ट्रीय पशु के रूप में 1973 को अपनाया गया, इससे पूर्व 'शेर' को भारत का राष्ट्रीय पशु माना जाता था। यह 'बिल्ली' प्रजाति का सबसे बड़ा मांसाहारी जानवर है। इनकी संख्या कभी संकटग्रस्त प्रजातियों में से एक थी, इस वजह से भारत सरकार द्वारा 1973 में 'प्रोजेक्ट टाइगर' नामक अभियान की शुरुआत की गई और तभी से इनकी संख्या में बढ़ोतरी देखने को मिली है। वर्तमान में, अन्य देशों की तुलना में बाघों की सबसे ज्यादा आबादी भारत में है।

राष्ट्रीय नदी



'गंगा' को राष्ट्रीय नदी के रूप में 4 नवंबर 2008 को अपनाया गया। हिन्दू धर्म ग्रंथो में इसे सबसे पवित्र नदी माना गया है और ऐसा माना जाता है इसमें स्नान करने से मनुष्य सभी पापों से मुक्त हो जाता है। यह भारत की सबसे लम्बी नदी है जिसकी कुल लम्बाई 2525 KM और मुख्य स्रोत गंगोत्री ग्लेशियर है। इसके अलावा इसकी कई सहायक नदियाँ भी है जिनमें यमुना, गोमती, रामगंगा, दामोदर, कोसी, गंडक जैसी नदियाँ प्रमुख है।

राष्ट्रीय जलीय जीव



'डॉल्फिन' जिसका वैज्ञानिक नाम 'Platanista Gangetica' है, को राष्ट्रीय जलीय जीव के रूप में 5 अक्टूबर 2009 को अपनाया गया। यह एक स्तनधारी मछली है जो मीठे पानी में रह सकती है। वास्तव में यह देख नहीं सकती है और इस वजह से अपने शिकार के लिए पराश्रव्य ध्वनियों का उत्सर्जन करती है जो मछलियों और अन्य शिकार से टकराकर वापस लौटती है और उनकी छवि को देखने में सक्षम बनाती है जिसे 'सुसु' (Susu) भी कहा जाता है। वर्तमान में गंगा में पायी जाने वाली 'डॉल्फिन' को IUCN की रेड लिस्ट में संकटग्रस्त (Endangered) की श्रेणी में रखा गया है और भारतीय वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की अनुसूची-I के तहत इसका शिकार करना प्रतिबंधित किया हुआ है।

राष्ट्रीय विरासत पशु



'हाथी' को राष्ट्रीय विरासत पशु के रूप में 13 अक्टूबर 2010 को अपनाया गया। 'बाघ' के समान इन्हें भी संरक्षण देने के उद्देश्य से, उस समय तत्कालीन केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश ने इसे भारत की राष्ट्रीय धरोहर या विरासत पशु के रूप में घोषित किया था।

राष्ट्रीय सूक्ष्म जीव

'लैक्टो बैसिलस डेलब्रुकीआई' को राष्ट्रीय सूक्ष्म जीव के रूप में 18 अक्टूबर 2012 को अपनाया गया। यह एक प्रकार के जीवाणु है जिनका उपयोग दूध को फाड़ कर दही बनाने में किया जाता है और इस दही को खाने से शरीर का पाचन तंत्र मजबूत बनता है।

राष्ट्रीय दिवस

गाँधी जयंती, स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस को राष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाया जाता है, जिसके मुख्य कारण है-
• 2 अक्टूबर 1869 को महात्मा गाँधी का जन्म हुआ था, जिस वजह से 2 अक्टूबर को 'गाँधी जयंती' के रूप में मनाया जाता है।
• 15 अगस्त 1947 को भारत आजाद हुआ था, जिस वजह से 15 अगस्त को 'स्वतंत्रता दिवस' के रूप में मनाया जाता है।
• 26 जनवरी 1950 को भारत का संविधान लागू हुआ था, जिस वजह से 26 जनवरी को 'गणतंत्र दिवस' के रूप में मनाया जाता है।

राष्ट्रीय खेल



'हॉकी' को भारत का राष्ट्रीय खेल माना जाता है, किन्तु आधिकारिक तौर पर भारत सरकार द्वारा इसे मान्यता नहीं मिली है। ऐसा माना जाता है कि जब भारत ने 1928 से 1956 के बीच ओलिंपिक में हॉकी के खेल में लगातार 6 स्वर्ण पदक जीते, तभी से इसे भारत का राष्ट्रीय खेल माना जाने लगा है।

राष्ट्रीय फल



'आम' जिसका वैज्ञानिक नाम 'Mangifera Indica' है, को राष्ट्रीय फल का दर्जा प्राप्त है। यह एक गूदेदार फल है जिसमें विटामिन्स (A, C और D) की भरपूर मात्रा है और अपने स्वाद के कारण इसे 'फलों का राजा' भी माना जाता है। वर्तमान में इसकी 100 से अधिक प्रजातियाँ है जो भिन्न-भिन्न रंग और आकार में है। इसका उल्लेख इतिहास के पन्नों में भी देखने को मिलता है जहाँ इसके स्वाद को सिकंदर और ह्यून सांग द्वारा पसंद किया गया है। ऐसा माना जाता है दरभंगा (आधुनिक बिहार) के लगभग सभी क्षेत्र में मुगल सम्राट अकबर के द्वारा लगभग एक लाख आम के पौधे लगवाये गये जिसे वर्तमान में लखी बाग के नाम से जाना जाता है।

राष्ट्रीय फूल



'कमल' जिसका वैज्ञानिक नाम 'Nelumbo Nucifera' है, को राष्ट्रीय फूल का दर्जा प्राप्त है। हिन्दू मान्यता के अनुसार इसे देवी 'लक्ष्मी' का आसन माना जाता है जो धन, वैभव और संपन्नता का प्रतीक है। यह दलदली स्थानों में उगने वाला फूल है जो मुख्य रूप से गुलाबी और सफेद रंग में पाया जाता है।

राष्ट्रीय वृक्ष



'बरगद' जिसका वैज्ञानिक नाम 'Ficus Benghalensis' है, को राष्ट्रीय वृक्ष का दर्जा प्राप्त है। हिन्दू धर्म में इसे पूजनीय माना गया है और इसे मुख्य रूप से 'वट' नाम से जाना जाता है। यह एक विशालकाय और छायादार पौधा है जिसकी छाल, फल, बीज, व दूध से विभिन्न प्रकार की औषधियाँ बनायी जाती है जो विभिन्न रोगों के उपचार में सहायक होती है।