इस आर्टिकल में, भौतिक विज्ञान के प्रमुख नियम एवं सिद्धान्त के बारें में बताया गया है जिन्हें आप याद कर सकते है।

हुक का नियम (Hooke's Law)
लघु विकृतियों की सीमा के भीतर वस्तु पर कार्यरत प्रतिबल, उसमें उत्पन्न विकृति के अनुक्रमानुपाती होता है।ओम का नियम (Ohm's Law)
यदि किसी चालक की भौतिक अवस्था जैसे - ताप में कोई परिवर्तन न किया जाए तो चालक के सिरों पर लगाया गया विभवान्तर, उसमें प्रवहित धारा के अनुक्रमानुपाती होता है।V ∝ I
V = RI
V = RI
लेन्ज का नियम (Lenz's Law)
किसी परिपथ में प्रेरित विद्युत वाहक बल की ध्रुवता इस प्रकार की होती है कि वह प्रेरण उत्पन्न करने वाले कारण का सदैव विरोध करे। अर्थात, यदि चुम्बकीय फलक्स का मान बढ़ता है तो प्रेरित विद्युत वाहक बल का मान घटता है।– e = + n ×
ΔՓ
ΔT
स्टोक्स का नियम (Stoke's Law)
जब कोई वस्तु किसी द्रव में गिरती है तब उस पर दो प्रकार के बल कार्य करते है, जिसमें पहला बल वस्तु के भार की वजह से तथा दूसरा बल द्रव के कारण उत्पन्न उत्पलावक बल की वजह से।पास्कल का नियम (Pascal's Law)
(I) यदि गुरूत्व प्रभाव को नगण्य माना जाए तो सन्तुलन की अवस्था में द्रव के भीतर प्रत्येक बिन्दु पर दबाव समान रहता है।(II) द्रव के किसी भाग पर आरोपित बल, द्रव द्वारा सभी दिशाओं में समान परिमाण में संचरित कर दिया जाता है।
स्टीफन का नियम (Stefan's Law)
किसी कृष्णिका के एकांक पृष्ठ क्षेत्रफल से प्रति सेकण्ड उत्सर्जित होने वाली विकिरण ऊर्जा, उसके परम ताप की चतुर्थ घात के अनुक्रमानुपाती होती है।E ∝ T4
E = σ T4
कूलॉम का नियम (Coulomb's Law)
दो स्थिर बिन्दु आवेशों के बीच लगने वाला आकर्षण अथवा प्रतिकर्षण बल, दोनों आवेशों की मात्राओं के गुणनफल के अनुक्रमानुपाती तथा उनके बीच की दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है। यह बल दोनों आवेशों को मिलाने वाली रेखा के अनुदिश भी होता है।F ∝
qq'
r2
F = k
qq'
r2
प्लवन के नियम (Laws of Flotation)
(I) सन्तुलित अवस्था में तैरने पर वस्तु अपने भार के बराबर द्रव विस्थापित करती है।(II) वस्तु का गुरूत्व केन्द्र तथा हटाए गए द्रव का गुरूत्व केन्द्र, दोनों ही एक ऊर्ध्वाधर रेखा में होने चाहिए।
किरचॉफ के नियम (Kirchhoff's Laws)
(I) सन्धि या धारा का नियम
किसी वैद्युत परिपथ में किसी भी सन्धि पर मिलने वाली समस्त धाराओं का बीजगणितीय योग शून्य होता है।ΣI = 0
यह नियम आवेश के संरक्षण को व्यक्त करता है।
(II) पाश या वोल्टता का नियम
किसी वैद्युत परिपथ में प्रत्येक पाश के विभिन्न खण्डों में बहने वाली समस्त धाराओं तथा संगत प्रतिरोधों के गुणनफलों का बीजगणितीय योग, उस पाश में लगने वाले समस्त वैद्युत वाहक बलों के बीजगणितीय योग के बराबर होता है।ΣE = IR
यह नियम ऊर्जा के संरक्षण को व्यक्त करता है।परावर्तन के नियम (Laws of Reflection)
(I) आपतित किरण, परावर्तित किरण तथा आपतन बिन्दु पर अभिलम्ब, तीनों एक ही तल में होते है।(II) आपतन कोण का मान सदैव परावर्तन कोण के बराबर होता है।
∠i = ∠r
अपवर्तन के नियम (Laws of Refraction)
(I) आपतित किरण, अपवर्तित किरण तथा आपतन बिन्दु पर अभिलम्ब, तीनों एक ही तल में होते है।(II) किन्हीं दो माध्यमों के लिए तथा किसी निश्चित रंग अथवा तरंगदैर्घ्य के प्रकाश के लिए, आपतन कोण की ज्या तथा अपवर्तन कोण की ज्या का अनुपात एक नियतांक होता है। इसे स्नैल का नियम भी कहते है।
Sin i
Sin r
= Cबायो-सेवर्ट का नियम (Bio-Savart's Law)
किसी धारावाही चालक के लघु अवयव के द्वारा किसी बिन्दु पर उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता –• चालक के लघु अवयव की लम्बाई के अनुक्रमानुपाती, ΔB ∝ Δl
• चालक में बहने वाली धारा के अनुक्रमानुपाती, ΔB ∝ i
• चालक के लघु अवयव की उस बिन्दु तक की दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती, ΔB ∝ 1 / r2
• धारा की दिशा एवं चालक के लघु अवयव को उस बिन्दु से मिलाने वाली रेखा के बीच बने कोण की ज्या के अनुक्रमानुपाती ΔB ∝ Sin𝛉 होती है।
ΔB ∝
iΔlSin𝛉
r2
ΔB =
μ°
4π
iΔlSin𝛉
r2
आर्किमिडीज का सिद्धान्त (Archimedes Principle)
(I) जब कोई वस्तु किसी द्रव में पूर्णत: अथवा अंशत: डुबोई जाती है तो उस वस्तु के भार में आभासी कमी आ जाती है जो कि वस्तु द्वारा विस्थापित द्रव के भार के बराबर होती है।(II) डुबोई गई वस्तु पर ऊपर की ओर एक उत्पलवन बल कार्य करता है जो कि विस्थापित द्रव के भार के बराबर होता है।
कैलोरीमिति का सिद्धान्त (Principle of Calorimetry)
जब भिन्न-2 ताप पर दो वस्तुएँ एक दूसरे के सम्पर्क में लायी जाती है तो ऊष्मा का स्थानान्तरण अधिक ताप वाली वस्तु से कम ताप वाली वस्तु की ओर होता है और यह प्रक्रिया तब तक चलती रहती है जब तक कि दोनों ही वस्तुओं के ताप एकसमान नहीं हो जाते।न्यूटन का शीतलन नियम (Newton Law's of Cooling)
जब कोई गर्म वस्तु वायु में ठण्डी होती है तो वस्तु की ऊष्मा हानि की दर, वस्तु तथा उसके चारों के माध्यम के तापान्तर के अनुक्रमानुपाती होती है।ΔH ∝ ΔT
ΔH = e σ (4T'3)ΔT
फ्लेमिंग का वाम हस्त नियम (Fleming's Left Hand Rule)
यदि हम अपने बाएँ हाथ के अँगूठे, बीच की अँगुली तथा सामने की अँगुली को इस प्रकार लम्बवत् फैलाये कि सामने की अँगुली चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा में, बीच की अँगुली वैद्युत धारा की दिशा में रहे, तब अँगूठा चालक पर कार्य करने वाले बल की दिशा को प्रदर्शित करेगा।न्यूटन के गति सम्बन्धी नियम (Newton's Laws of Motion)
(I) यदि कोई वस्तु विराम अवस्था में है तो वह विराम अवस्था में ही बनी रहेगी और यदि वह एक सरल रेखा में एकसमान वेग से चल रही है तो वह उसी प्रकार से चलती रहेगी, जब तक उस पर कोई बाह्य बल न लगाया जाय। इस नियम को जड़त्व या गैलीलियों का नियम भी कहते है।(II) किस वस्तु पर लगाया गया बाह्य बल उस वस्तु के द्रव्यमान तथा वस्तु में बल की दिशा में उत्पन्न त्वरण के गुणनफल के बराबर होता है।
F = ma
(III) प्रत्येक क्रिया की उसके बराबर परन्तु विपरीत दिशा में प्रतिक्रिया होती है। इस नियम को क्रिया-प्रतिक्रिया का नियम भी कहते है।
न्यूटन का गुरूत्वाकर्षण नियम (Newton's Law of Gravitation)
दो पिण्डों के बीच कार्य करने वाला आकर्षण बल, उनके द्रव्यमानों के गुणनफल के अनुक्रमानुपाती तथा उनके बीच की दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है।F ∝
MM'
r2
F = G
MM'
r2
संवेग संरक्षण का नियम (Law of Conservation of Momentum)
एक या एक से अधिक वस्तुओं के निकाय का संवेग तब तक नियत रहता है, जब तक उस वस्तु या वस्तुओं के निकाय पर कोई बाह्य बल आरोपित न हो।कैपलर के ग्रहों की गति सम्बन्धी नियम (Kepler's Laws of Planetary Motion)
(I) कक्षाओं का नियम
सभी ग्रह सूर्य के चारों ओर दीर्घ वृत्ताकार कक्षाओं में परिक्रमण करते है तथा सूर्य कक्षाओं के एक फोकस पर स्थित होता है।(II) क्षेत्रफलीय वेग का नियम
किसी भी ग्रह को सूर्य से मिलाने वाली रेखा समान समयान्तरालों में समान क्षेत्रफल तय करती है। अर्थात, ग्रह का क्षेत्रफलीय वेग नियत रहता है।dA
dT
= J
2m
(III) परिक्रमणकालों का नियम
किसी भी ग्रह का सूर्य के चारों ओर एक पूरा चक्कर लगाने में लगा समय का वर्ग, उसकी दीर्घ वृत्ताकार कक्षा के अर्द्ध दीर्घ अक्ष की तृतीय घात के अनुक्रमानुपाती होता है।T2 ∝ a3
T2 =
(2πm)2a3L
J2
फैराडे के वैद्युत चुम्बकीय प्रेरण सम्बन्धी नियम (Faraday's Laws of Electro-Magnetic Induction)
(I) जब किसी बन्द वैद्युत परिपथ से संलग्न चुम्बकीय फलक्स में परिवर्तन होता है तो वैद्युत परिपथ में एक वैद्युत वाहक बल प्रेरित होता है। यह वैद्युत वाहक बल तभी तक ही उपस्थित रहता है जब तक चुम्बकीय फलक्स में परिवर्तन होता रहता है। चुम्बकीय फलक्स के नियत हो जाने पर वैद्युत वाहक बल समाप्त हो जाता है।(II) किसी बन्द वैद्युत परिपथ में प्रेरित वैद्युत वाहक बल का मान चुम्बकीय फलक्स के परिवर्तन की समय दर के अनुक्रमानुपाती होता है।
e ∝
ΔՓ
ΔT
e = – n ×
ΔՓ
ΔT
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