मानव शरीर में असंख्य रासायनिक अभिक्रियाएँ लगातार चलती रहती है जिनका उत्प्रेरण एन्जाइमों द्वारा होता है। प्रत्येक जीन एक विशेष प्रकार के एन्जाइम की उत्पत्ति के लिए उत्तरदायी होता है। अत: यदि किसी जीन में कोई दोष उत्पन्न हो जाए तो उससे सम्बन्धित एन्जाइम नहीं बनेगा, जिस वजह से शरीर की कोई भी क्रिया बाधित हो सकती है। परिणामस्वरूप शरीर में किसी प्रकार का रोग अथवा कमी हो सकती है। ये दोषयुक्त जीन जनन क्रिया के द्वारा एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में स्थानान्तरित होते रहते है और उनसे सम्बन्धित रोग अथवा कमी भी। ऐसे रोगों को आनुवंशिक रोग कहते है। इनमें से कुछ रोग ऑटोसोमिक गुणसूत्रों के जीनों में अनियमितताओं के कारण तथा कुछ लिंग गुणसूत्र (X या Y) के जीनों के कारण होते है। मानव शरीर में होने वाले प्रमुख आनुवंशिक रोगों का उल्लेख इस प्रकार है –

आनुवंशिक रोग

प्रमुख तथ्य

Alkaptonuria इस रोग से ग्रसित व्यक्तियों का मूत्र वायु के सम्पर्क में आते ही काला हो जाता है।
Colourblindness इस रोग से ग्रसित व्यक्तियों को हरा एवं लाल रंग की पहचान करने में समस्या आती है।
Down Syndrome
(Mangolism)
इस रोग से ग्रसित व्यक्तियों में गुणसूत्रों की संख्या 47 हो जाती है और उनकी बुद्धि मंद, आँखे टेढ़ी, जीभ मोटी तथा शरीर का ढाँचा अनियमित रहता है।
Haemophilia इस रोग से ग्रसित व्यक्तियों में रक्त का थक्का जमाने वाले कारकों का निर्माण नहीं हो पाता है।
Klinefelter Syndrome इस रोग से ग्रसित व्यक्तियों में गुणसूत्रों की संख्या 47 हो जाती है और उनका वृषण अल्पविकसित एवं स्तन स्त्रियों के समान विकसित होता है जिस वजह से वे नपुंसक तक हो जाते है।
Turner Syndrome इस रोग से ग्रसित स्त्रियों में गुणसूत्रों की संख्या 45 हो जाती है और उनके जननांग अविकसित, कद छोटा तथा वक्ष चपटा होता है जिस वजह से वे बाँझ तक हो जाती है।