इस आर्टिकल में, हम भारतीय संविधान का निर्माण कब और कैसे हुआ, के बारें में बात करने वाले है। इसके माध्यम से हमारी पूरी कोशिश है कि भारतीय संविधान से सम्बन्धित प्रमुख तथ्य आपको सरल भाषा में समझाया जा सके।

स्वाधीनता की मांग में ही भारतीय संविधान बनाने की मांग भी छिपी हुई थी। 1895 ई0 में बाल गंगाधर तिलक के निर्देशन में तैयार किए गए स्वराज्य विधेयक में भारत के लिए संविधान बनाने हेतु एक संविधान सभा को गठित करने की बात की गई। 1922 ई0 में महात्मा गाँधी ने यह विचार प्रस्तुत किया कि भारतीय संविधान भारतीयों की इच्छा के अनुसार ही बनना चाहिए। 1924 ई0 में मोतीलाल नेहरू ने ब्रिटिश सरकार के सामने संविधान सभा के निर्माण की मांग प्रस्तुत की, जिसे ब्रिटिश सरकार ने अस्वीकार कर दिया। 1934 ई0 में Manabendra Nath Roy, जिन्होंने 1921 ई0 में साम्यवादी दल की स्थापना की थी, ने स्पष्ट रूप से संविधान सभा के गठन का विचार प्रस्तुत किया। 1935 ई0 में जवाहर लाल नेहरू के प्रयास से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने औपचारिक रूप से यह घोषणा की, कि यदि भारत को आत्म निर्णय का अवसर मिलता है तो भारत के सभी विचारों के लोगों की एक प्रतिनिधि सभा बुलाई जानी चाहिए जो सर्वसम्मति से संविधान सभा का निर्माण कर सके, यही प्रतिनिधि सभा ही संविधान सभा होगी।
1938 ई0 में जवाहर लाल नेहरू ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की तरफ से यह घोषणा की, कि भारत का संविधान किसी बाह्य हस्तक्षेप के एक स्वतंत्र संवैधानिक सभा द्वारा निर्मित होना चाहिए। भारतीयों द्वारा संविधान सभा की मांग को ब्रिटिश सरकार ने शुरू में कड़ा विरोध किया, किन्तु 1939 ई0 में हुए द्वितीय विश्वयुद्ध से उत्पन्न परिस्थितियों और अंतरराष्ट्रीय घटनाओं ने ब्रिटिश सरकार को इस मांग पर गंभीरता से विचार करने के लिए मजबूर कर दिया। 8 अगस्त 1940 ई0 को ब्रिटिश सरकार की ओर से लॉर्ड लिनलिथगो ने अगस्त प्रस्ताव पेश किया, जिसमें यह स्वीकार किया गया कि भारत का संविधान स्वयं भारतीय ही तैयार करेंगे। द्वितीय विश्वयुद्ध में भारतीयों का साथ पाने की लिए 1942 ई0 में स्टैफर्ड क्रिप्स के नेतृत्व में क्रिप्स योजना के अंतर्गत ब्रिटिश सरकार ने एक प्रस्ताव पेश किया, जिसमें यह घोषणा की गई कि यदि भारतीय द्वितीय विश्वयुद्ध में उनका साथ देते है तो द्वितीय विश्वयुद्ध की समाप्ति के पश्चात् ब्रिटिश सरकार भारत में एक निर्वाचित संविधान सभा का गठन करेगी जो भारत के संविधान को तैयार करेगी, लेकिन भारतीयों ने इसका कड़ा विरोध किया, विशेषकर – भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और मुस्लिम लीग ने। मई 1946 ई0 को इंग्लैंड की ब्रिटिश सरकार ने कैबिनेट मिशन के दल को भारत भेजा, जिसके सदस्य स्टैफर्ड क्रिप्स, पैथिक लारेंस और ए0 वी0 एलेक्जेंडर थे। कैबिनेट मिशन के द्वारा संविधान सभा के गठन के प्रस्ताव भारतीयों द्वारा अगस्त 1946 ई0 में स्वीकार कर लिया गया। कैबिनेट मिशन का विचार था कि तत्कालीन परिस्थितियों में वयस्क मताधिकार के आधार पर संविधान सभा के सदस्यों का निर्वाचन सम्भव नहीं होगा, अत: प्रान्तीय विधानसभाओं द्वारा संविधान सभा के सदस्यों को निर्वाचित किये जाने का प्रावधान किया गया। कैबिनेट मिशन की स्तुंति के आधार पर 389 सदस्यों वाली संविधान सभा का गठन किया गया, जिसमें प्रत्येक सदस्य प्रति दस लाख जनसंख्या का प्रतिनिधित्व करता हो और यह भी व्यवस्था की गई कि ब्रिटिश प्रान्तो से चुने जाने वाले संविधान सभा के सदस्यों का विभाजन साम्प्रदायिक आधार पर इस प्रकार हो – सिक्ख = 4, सामान्य = 213, मुस्लिम लीग = 79
389 सदस्यों वाली इस संविधान सभा में 93 सदस्य, 29 राजघरानों से नामांकित होकर, जबकि शेष सदस्यों में 292 सदस्य 11 गवर्नर प्रान्तों से, 4 सदस्य 4 चीफ कमिश्नर प्रान्तों (दिल्ली, अजमेर, कुर्ग, बलूचिस्तान) से अप्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली के द्वारा चुनकर आये थे, इनमें 208 सदस्य कांग्रेस के, 73 सदस्य मुस्लिम लीग, 8 निर्दलीय उम्मीदवार और 7 राजनीतिक दलों के उम्मीदवार थे।
9 दिसम्बर, 1946 ई0 को नई दिल्ली में स्थित कौंसिल चेम्बर के पुस्तकालय भवन में संविधान सभा की पहली बैठक हुई, जिसमें सच्चिदानन्द सिन्हा को संविधान सभा का अस्थायी अध्यक्ष चुना गया। इस सभा में सच्चिदानन्द सिन्हा को अस्थायी अध्यक्ष चुनने का मुख्य कारण यह था कि उस दिन राजेन्द्र प्रसाद की तबीयत बहुत खराब थी और वह संविधान सभा में भाग नहीं ले सकते थे। 11 दिसम्बर, 1946 ई0 को सच्चिदानन्द सिन्हा के स्थान पर राजेन्द्र प्रसाद को संविधान सभा का स्थायी अध्यक्ष चुना गया और इसी दिन हरेन्द्र कुमार मुखर्जी को संविधान सभा का उपाध्यक्ष तथा बेनेगल नरसिंह राव को संविधान सभा का सलाहकार नियुक्त किया गया। 13 दिसम्बर, 1946 ई0 की कार्यवाही जवाहर लाल नेहरू द्वारा पेश किये गये उद्देश्य प्रस्ताव के साथ शुरू हुई। 22 जनवरी, 1947 ई0 को उद्देश्य प्रस्ताव पर स्वीकृति मिलने के बाद संविधान सभा द्वारा संविधान निर्माण हेतु अनेक समितियाँ नियुक्त की गई, जिसमें प्रारूप समिति मुख्य थी। इस समिति का गठन 29 अगस्त, 1947 ई0 को बेनेगल नरसिंह राव द्वारा तैयार किये गये संविधान के प्रारूप पर विचार-विमर्श करने के लिए संविधान सभा द्वारा किया गया, जिसके सदस्य इस प्रकार थे –
• भीमराव अम्बेडकर (अध्यक्ष)
• सैय्यद मोहम्मद सादुल्ला
• एन0 गोपालस्वामी आयंगर
• अल्लादी कृष्णास्वामी अय्यर
• कन्हैयालाल मानेकलाल मुंशी
• एन0 माधव राव (बी0 एल0 मित्र के स्थान पर)
• डी0 पी0 खेतान (टी0 टी0 कृष्णामाचारी के स्थान पर)
इसी बीच 3 जून, 1947 को माउण्टबेटन योजना के अंतर्गत पाकिस्तान को भारत से अलग करने का निर्णय लिया गया। 14 अगस्त, 1947 ई0 को जब पाकिस्तान भारत से अलग हुआ, तब संविधान सभा में सदस्यों की संख्या घटकर 299 रह गई जिसमें 229 सदस्य प्रान्तों के और शेष 70 सदस्य देशी रियासतों के थे।
प्रारूप समिति ने बेनेगल नरसिंह राव द्वारा तैयार किये गये संविधान के प्रारूप पर विचार-विमर्श करने के बाद 21 फरवरी, 1948 ई0 को संविधान सभा में अपनी रिपोर्ट पेश की।
संविधान सभा ने अपना पहला ड्राफ्ट 4 नवम्बर 1948 ई0 को, दूसरा ड्राफ्ट 15 नवम्बर 1948 ई0 और तीसरा ड्राफ्ट 14 नवम्बर 1949 ई0 को पेश किया, जिस पर तगड़ी बहस हुई और 7635 संशोधन के बाद भारतीय संविधान को एक रूप दे दिया गया। 26 नवम्बर 1949 ई0 को संविधान सभा द्वारा भारतीय संविधान को अपना लिया गया। 24 जनवरी, 1950 ई0 को संविधान सभा की अंतिम बैठक हुई, जिसमें राजेन्द्र प्रसाद को देश के पहले राष्ट्रपति के तौर पर चुना गया और 26 जनवरी, 1950 ई0 को भारत का संविधान लागू कर दिया गया।
वास्तविक रूप से 284 सदस्यों ने ही केवल संविधान पर हस्ताक्षर किये। संविधान के निर्माण में 2 साल, 11 महीने, 18 दिन का समय लगा और कुल 63,96,729 रूपये खर्च आया। इस दौरान संविधान सभा के कुल 11 सत्र हुए, जो 165 दिन तक चले, जिसमें 114 दिन तो केवल संविधान के प्रारूप पर विचार-विमर्श करने में चले गए और अन्त में नतीजा यह निकला कि यह विश्व का सबसे लम्बा लिखित संविधान बना, जिसमें 395 आर्टिकल, 22 भाग, 8 अनुसूचियाँ थी।
• संविधान सभा का प्रतीक – हाथी
• संविधान सभा का प्रथम सत्र – 4 नवम्बर 1948 ई0
• संविधान सभा का अन्तिम सत्र – 14 नवम्बर 1949 ई0
• भारतीय संविधान के पितामह – भीमराव अम्बेडकर
• भारतीय संविधान के लेखक - प्रेम बिहारी नारायण रायजादा
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