सबसे पहले भोजन को मुख (Mouth) में ले जाते है जहाँ इन्हें दाँतों से छोटे-छोटे टुकड़ों में विभाजित कर और फिर उसे पीस-पीस कर लुग्दी के रूप में बदल दिया जाता है। इसके बाद यह लार ग्रन्थियों (Salivary Glands) से निकलने वाले लार (Saliva) के सम्पर्क में आता है जिनमें निम्न पदार्थ पाये जाते है –
• जल (Water) – यह भोजन को गीला और लसदार बनाता है।
• लाइसोजाइम (Lysozyme) – यह भोजन में उपस्थित जीवाणुओं को नष्ट कर देता है।
• टायलिन (Ptyalin) – यह भोजन की मण्ड (Starch) को माल्टोज (Maltose) शर्करा में बदल देता है।
• लाइसोजाइम (Lysozyme) – यह भोजन में उपस्थित जीवाणुओं को नष्ट कर देता है।
• टायलिन (Ptyalin) – यह भोजन की मण्ड (Starch) को माल्टोज (Maltose) शर्करा में बदल देता है।
इसके बाद शेष भोजन ग्रासनली (Esophagus) के माध्यम से फिसलता हुआ अमाशय (Stomach) में पहुँचता है जहाँ यह लगभग तीन से चार घंटे रहता है। यहाँ ऑक्सिन्टिक कोशिकाओं से निकलने वाला हाइड्रोक्लोरिक अम्ल (Hydrochloric Acid) भोजन को अम्लीय बनाता है और भोजन के साथ आए शेष जीवाणुओं को नष्ट कर देता है। इसके बाद भोजन अमाशय (Stomach) की दीवारों में उपस्थित जठर ग्रन्थियों (Gastric Glands) से निकलने वाले जठर रस (Gastric Juice) के सम्पर्क में आता है जिसमें निम्न एन्जाइम पाये जाते है –
• पेप्सिन (Pepsin) – यह भोजन की प्रोटीन्स (Proteins) को पेप्टोन्स (Peptones) और पॉलीपेप्टाइड्स (Polypeptides) में बदल देता है।
• रेनिन (Renin) – यह दूध की घुली हुई प्रोटीन कैसीन (Casein) को ठोस प्रोटीन कैल्शियम पैराकेसीनेट (Calcium Paracaesinate) में बदल देता है।
• रेनिन (Renin) – यह दूध की घुली हुई प्रोटीन कैसीन (Casein) को ठोस प्रोटीन कैल्शियम पैराकेसीनेट (Calcium Paracaesinate) में बदल देता है।
इसके बाद शेष भोजन जिसे काइम (Chyme) कहते है, पाइलोरस कपाट (Pylorus Valve) के माध्यम से होता हुआ ग्रहणी (Duodenum) में पहुँचता है जहाँ यह यकृत (Liver) की कोशिकाओं से निकलने वाले पित्त रस (Bile Juice) के सम्पर्क में आता है जो कि भोजन को क्षारीय बना देता है। इसके बाद यह अग्न्याशय (Pancreas) से निकलने वाले अग्न्याशय रस (Pancreatic Juice) के सम्पर्क में आता है जिसमें निम्न एन्जाइम पाये जाते है –
• एमाइलेज (Amylase) – यह भोजन की मण्ड (Starch) को माल्टोज (Maltose) शर्करा में बदल देता है।
• न्यूक्लिएजेज (Nucleases) – यह न्यूक्लिक अम्लों (Nucleic Acids) को न्यूक्लियोटाइड्स (Nucleotides) में बदल देता है।
• स्टीएप्सिन (Steapsin) – यह पायसीकृत वसा (Emulsified Fat) को वसीय अम्ल (Fatty Acid) और ग्लिसरॉल (Glycerol) में बदल देता है।
• ट्रिप्सिन (Trypsin) – यह भोजन की शेष प्रोटीन्स (Proteins) को पेप्टोन्स (Peptones) और पॉलीपेप्टाइड्स (Polypeptides) में बदल देता है।
• न्यूक्लिएजेज (Nucleases) – यह न्यूक्लिक अम्लों (Nucleic Acids) को न्यूक्लियोटाइड्स (Nucleotides) में बदल देता है।
• स्टीएप्सिन (Steapsin) – यह पायसीकृत वसा (Emulsified Fat) को वसीय अम्ल (Fatty Acid) और ग्लिसरॉल (Glycerol) में बदल देता है।
• ट्रिप्सिन (Trypsin) – यह भोजन की शेष प्रोटीन्स (Proteins) को पेप्टोन्स (Peptones) और पॉलीपेप्टाइड्स (Polypeptides) में बदल देता है।
इसके बाद शेष भोजन छोटी आंत (Small Intestines) में पहुँचता है जहाँ यह आंत की दीवारों में उपस्थित पाचन ग्रन्थियों (Digestive Glands) से निकलने वाले आंत्रिक रस (Intestinal Juice) के सम्पर्क में आता है जिसमें निम्न एन्जाइम पाये जाते है –
• माल्टेज (Maltase) – यह माल्टोज (Maltose) को ग्लूकोज (Glucose) में बदल देता है।
• इरेप्सिन (Erepsin) – यह पॉलीपेप्टाइड्स (Polypeptides) को एमिनों अम्ल (Amino Acid) में बदल देता है।
• सुक्रेज (Sucrase) – यह सुक्रोज (Sucrose) को फ्रक्टोज (Fructose) और ग्लूकोज (Glucose) में बदल देता है।
• लाइपेज (Lipase) – यह शेष वसाओं (Fats) को वसीय अम्ल (Fatty Acid) और ग्लिसरॉल (Glycerol) में बदल देता है।
• लैक्टेज (Lactase) – यह दुग्ध शर्करा लैक्टोज (Lactose) को ग्लूकोज (Glucose) और गैलेक्टोज (Galactose) में बदल देता है।
• इरेप्सिन (Erepsin) – यह पॉलीपेप्टाइड्स (Polypeptides) को एमिनों अम्ल (Amino Acid) में बदल देता है।
• सुक्रेज (Sucrase) – यह सुक्रोज (Sucrose) को फ्रक्टोज (Fructose) और ग्लूकोज (Glucose) में बदल देता है।
• लाइपेज (Lipase) – यह शेष वसाओं (Fats) को वसीय अम्ल (Fatty Acid) और ग्लिसरॉल (Glycerol) में बदल देता है।
• लैक्टेज (Lactase) – यह दुग्ध शर्करा लैक्टोज (Lactose) को ग्लूकोज (Glucose) और गैलेक्टोज (Galactose) में बदल देता है।
सभी पाचक रसों की भोजन के साथ क्रिया होने पर प्राप्त पदार्थों का छोटी आंत (Small Intestines) की दीवारों में मौजूद असंख्य रसांकुरों द्वारा रक्त (Blood) में अवशोषण हो जाता है और शेष अपशिष्ट पदार्थ बड़ी आंत (Large Intestines) में पहुँच जाता है जहाँ भोजन के कुछ लवणों एवं जल का अवशोषण होता है और बचा हुआ अपशिष्ट भोजन मल के रूप में मलाशय (Rectum) में एकत्र होता रहता है जिसे समय-समय पर गुदा-द्वार (Anus) से बाहर निकाल दिया जाता है।
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