समय अमूल्य है। संसार की समस्त सम्पदा से भी उसका मूल्यांकन नहीं हो सकता। यह वह हीरा है, जिसे जौहरी ही परख सकता है। समय किसी की प्रतीक्षा नहीं करता। प्रकृति का सारा कार्य जैसे - ऋतुओं का आगमन, सूर्य चन्द्र आदि का उदय निश्चित समय पर ही होता है। मनुष्य अधिकतर समय के मूल्य को नहीं पहचानता, बार-बार अवसर मिलने पर भी वह उसका सही उपयोग नहीं कर पाता। समय के बीत जाने पर बाद में पछतावा होता है, परन्तु समय चुकने पर पछताने से कोई लाभ नहीं। वाटरलू के युद्ध में नेपोलियन की पराजय का सबसे बड़ा कारण समय की अवहेलना ही थी। इस युद्ध में नेपोलियन ने आस्ट्रिया को इसलिए हरा दिया था क्योंकि वहाँ के सैनिकों ने पाँच मिनट का विलंब कर दिया, लेकिन वहीं कुछ ही मिनटो में वह बंदी बना लिया गया क्योंकि उसका एक सेनापति कुछ विलंब से आया। महाकवि तुलसीदास ने ठीक कहा है - "का वर्षा जब कृषि सुखाने। समय चुकि पुनि का पछताने।।" अर्थात् जिस प्रकार फसल सूख जाने पर बारिश का कोई लाभ नहीं होता, उसी प्रकार समय गवां देने पर उसका पछतावा करना भी व्यर्थ है।

समय एक महत्वपूर्ण धन है। इसका जितना उपयोग किया जायेगा, उतना ही अधिक लाभ होगा। सही उपयोग न करने पर समय व्यर्थ हो जाता है। समय के एक क्षण को संसार के समस्त ऐशवर्य द्वारा खरीदा नहीं जा सकता है। समय समुद्र की भाँति एक क्षण के लिए भी विश्राम नहीं करता। यह निरन्तर अपने मार्ग पर चलता ही रहता है। समय किसी की प्रतीक्षा में रूकता नहीं। आज के वैज्ञानिक युग में मनुष्य ने अपने बुद्धि बल से प्रकृति पर विजय प्राप्त कर ली है, परन्तु समय को वश में करने में वैज्ञानिक भी सफलता प्राप्त नहीं कर सका। समय निश्चित अवसर पर आकर मनुष्य की गर्दन धर दबोचता है। समय का मूल्य तब मालूम होता है, जब एक मिनट विलम्ब से स्टेशन पर पहुँचने पर गाड़ी छूट जाती है। ऐसे मूल्यवान समय के सही उपयोग में ही मनुष्य का कल्याण है। यदि हम समय का उपयोग योजनाबद्ध तरीके से नहीं करते है तो हम जीवन जी नहीं रहे, बल्कि काट रहे है।

समय का अच्छी प्रकार से उपयोग करने पर कंगाल भी राजा बन सकता है। मूर्ख विद्वान् बन जाता है। जो विद्यार्थी अपने समय का सही उपयोग करते है, वे परीक्षा में प्रथम आते है। विद्यार्थी जीवन विद्या अर्जन करने के लिए है। जो इसका सही उपयोग नहीं करते, वे परीक्षा के समय पछताते है। लेकिन उस समय पछताना व्यर्थ है - "अब पछताये होत क्या, जब चिड़िया चुग गई खेत।" किसी महापुरूष के जीवन-चरित्र पर दृष्टि डाला जाये तो ज्ञात होगा कि समय का सही उपयोग करने पर ही वह महान बना। कुशल व्यक्ति अपने नियत कार्यक्रम के अनुसार कार्य करके महान बन जाता है। छात्र वर्ग के लिए समय का और भी अधिक मूल्य होता है। बुद्धिमान छात्र चालीस मिनट के पीरियड में अध्यापक द्वारा पढ़ाये हुए पाठ को मनोयोगपूर्वक सुनता है, परन्तु आलसी अथवा आवारा छात्र अपने मन को इधर-उधर की बातों में लगाकर उस स्वर्ण अवसर को खो देते है। परीक्षा फल निकलने पर एक प्रसन्न होता है और दूसरा दु:खी। हमें समय का ठीक प्रकार से उपयोग करके अपने जीवन को महान बनाना चाहिए।

समय को व्यर्थ की बातों में खोकर न कोई सुखी हुआ और न होगा। जो समय को नष्ट करते है, समय उसे नष्ट कर देता है। विकास की राह में सबसे बड़ा शत्रु समय की बर्बादी है। सीजर समय से पाँच मिनट बाद पहुँचा और उसे अपने प्राणों से हाथ धोने पड़े। अपनी सेना के कुछ मिनट देर से पहुँचने के कारण वाटरलू के युद्ध में नेपोलियन बोनापार्ट को नेल्सन के हाथों पराजित होना पड़ा। डॉक्टर के दो मिनट देर से पहुँचने के कारण रोगी की मृत्यु हो जाती है। जो व्यक्ति समय को व्यर्थ बिता देते है, वे सारी उम्र असफलता के चक्कर में पड़े रहते है। जीवन में एक बार सबको अच्छा अवसर मिलता है। जो उस समय का सही उपयोग करता है, वह जीवन को सफल बना लेता है। जो उसे खो देता है, वह हाथ मलता ही रह जाता है। अत: हमें एक क्षण भी व्यर्थ नष्ट नहीं करना चाहिए।

"कण-कण धन संचय करे, क्षण-क्षण का उपयोग।
मले न ऐसा पुरूष कर, साधे संत सुयोग।।"

एक विद्वान् ने कहा है - "समय वह धन है, जिसका उपयोग यदि सही ढंग से किया जाये तो मनुष्य अपने जीवन में सफलता प्राप्त कर सकता है और इसका दुरूपयोग करके पाने जीवन को व्यर्थ ही नष्ट कर सकता है।" हमें देखना चाहिए कि हमारी आयु थोड़ी है और कार्य बहुत करने है। ऐसी दशा में समय को, व्यर्थ खोना बुद्धिमानी नहीं है। समय का सदैव आदर करने चाहिए। आज का काम कल पर मत छोड़ो। कवि ने ठीक कहा है - "काल करे सो आज कर, आज करे सो अब्ब। पल में परलै होयगी, बहुरि करेगौ कब्ब।।" अर्थात् जो कल करना है उसे आज करो और जो आज करना है उसे अभी करो, क्षण भर में समय बदल जायेगा फिर तुम क्या कर पाओगे।